नयी दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिकारी और कर्मचारियों ने वर्ष 2012 के बाद नियुक्त कर्मियों की पेंशन को अद्यतन करने और सहभागी भविष्य निधि (सीपीएफ)/ अतिरिक्त भविष्य निधि (एपीएफ) के लिए अनुदान देने की मांग को लेकर चार और पांच सितंबर को पूरे देश में सामूहिक अवकाश पर रहने की घोषणा की है।
यूनाटेड फोरम आॅफ रिजर्व बैंक आफिसर्स एंड एम्पलॉयीज( यूएफआरबीओई) ने इस सामूहिक अवकाश का आह्वान किया है। संगठन ने सोमवार को यहां जारी बयान में यह जानकारी देते हुये कहा कि जो कर्मचारी 2012 के बाद नियुक्त हुये हैं उन्हें न्यू पेेंशन स्कीम(एनपीएस) में डाला गया है जिसमें सेवानिवृत्त के बाद कितनी राशि मिलेगी यह सुनिश्चित नहीं हैं क्योंकि एनपीएस की राशि को शेयर बाजार आदि में निवेश किया जायेगा और वहां मिलने वाले रिटर्न पर पेंशन तय की जायेगी।
इसके मद्देनजर संगठन ने भविष्य की सुरक्षा के लिए बैंक के एपीएफ लागू करने की मांग जहां कर्मचारियों को बैंक की ओर से फंड प्रबंधक के तौर पर एक सुनिश्चित ब्याज दिया जायेगा। इसके साथ ही संगठन ने इसके स्थान पर भारतीय स्टेट बैंक के सीपीएफ जैसी व्यवस्था करने का आग्रह किया है।
संगठन ने कहा कि वह बहुत समय से मुद्दे को उठा रहा है। बैंक के कई गवर्नरों और केन्द्रीय बोर्ड ने इसके प्रति सहानुभूति दिखायी थी और इस मुद्दे को लगातार सरकार के समक्ष रखते रहे हैं लेकिन कई दशकों के बाद भी अब तक कोई समाधान नहीं किया गया है।
उसने कहा कि अभी रिजर्व बैंक के पेंशन निधि में 16 हजार करोड़ रुपये की राशि है जो केन्द्रीय बैंक ने कर्मचारियों के भविष्य निधि भागीदारी के रूप में जमा किया है। यह राशि पेंशन को अद्यतन बनाने के लिए पर्याप्त है और राजकोष पर बगैर किसी वित्तीय बोझ के एक और विकल्प की व्यवस्था की जा सकती है। संगठन ने कहा कि सरकार के उदासीन रवैया के मद्देनजर अधिकारी और कर्मचारी दो दिवसीय सामूहिक अवकाश पर जाने का निर्णय लिया है।