जयपुर। सवर्ण समाज संघर्ष समिति और समता आंदोलन के भारत बंद के आह्वान पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति (एससीएसटी) अधिनियम के विरोध में गुरुवार को राजस्थान में बंद का व्यापक असर रहा।
बंद के दौरान अधिकतर दूकानें एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान तथा निजी स्कूलों पर ताले लटके रहे।जयपुर में बंद समर्थकों ने दूकानें बंद कराई तथा एससी एसटी एक्ट के खिलाफ नारेबाजी की।पुलिस ने बंद समर्थकों को कई बार खदेडा तथा नारेबाजी करने वाले चार व्यापारियों को हिरासत में ले लिया। शहर में जगह जगह पुलिस तैनात रही।
बंद के मद्देनजर राज्य सरकार ने पुलिस को कानून एवं शांति व्यवस्था बनाये रखने के निर्देश दिया है तथा एहतियात के तौर पर दस जिलों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया। पुलिस ने बंद को देखते हुए प्रशासन ने समता आंदोलन के अध्यक्ष पारसनारायण को नजरबंद कर लिया है। प्रशासन ने आंदोलन के दो दर्जन से अधिक नेताओं को घरों में ही रहने के लिए पाबंद किया है।
कई पेट्रोल पंपों ने भी बंद को समर्थन देते हुए तीन घंटे के लिए पंप बंद रखे। बंद को डेढ दर्जन से अधिक समाजों के अलावा व्यापारिक संगठनों ने भी समर्थन दिया है।
सवाई माधोपुर, बारां, टोंक, अलवर में भी बंद समर्थकों और पुलिस के बीच झड़पें हुई। अलवर में प्रदर्शनकारियों की गाड़ी जब्त कर ली गई।
उदयपुर संवाददाता के अनुसार एससीएसटी एक्ट के संशोधन के विरोध में आयोजित भारत बन्द के तहत उदयपुर बंद का व्यापक असर रहा। सवर्ण समाज के कार्यकर्ता बंद को सफल बनाने उदयपुर शहर में सूरजपोल चौराहे पर एकत्रित हुए। पुलिस से कहासुनी के बाद कार्यकर्ताओं की हल्की झडप हो गई।
उच्च अधिकारियो की समझाइश के बाद मामला शांत कराया गया। संभाग के बांसवाडा, डूंगरपुर, राजसमंद, में भी बन्द का व्यापक असर रहा। कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिये पुलिस की और से सुरक्षा के कड़े बन्दोंबस्त किए गए।
अलवर से प्राप्त समाचार के अनुसार अनुसूचित जाति जनजाति एक्ट के खिलाफ बंद सफल रहा अलवर बंद कराने के लिए सर्व समाज समिति का गठन किया गया जिसमें सभी व्यापारिक संगठन शामिल किए गए।
समिति के अध्यक्ष सुभाष अग्रवाल ने बताया कि अनुसूचित जाति जनजाति एक्ट के खिलाफ व्यापारियों ने बंद में अपना पूर्ण समर्थन दिया है अलवर के बाजार पूरी तरह बंद हैं और पूरे शहर में अलग-अलग टोलियों के माध्यम से मार्च किए जा रहे हैं बंद समर्थक दुकानदारों से हाथ जोड़कर उनसे बंद करने की विनती की जा रही है।
अलवर के भगत सिंह चौराहे पर बंद समर्थक एकत्रित हुए और इस एक्ट के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी की और इस एक्ट को वापस लेने की मांग की।
भीलवाड़ा संवददाता के अनुसार सवर्ण समाज द्वारा एससीएसटी एक्ट के विरोध में आज प्रस्तावित भारत बंद का भीलवाड़ा जिले में व्यापक असर रहा। जिले के सभी कसबे और ग्रामीण क्षेत्रों में इस एक्ट के विरोध में बाजार बंद रहे जिससे जन जीवन प्रभावित हुआ। भीलवाड़ा शहर के बाज़ार पूरी तरह बंद रहे। जिला बार एसोसिएशन,पेट्रोल पम्प डीलर एसोसिएशन और विभिन्न मार्केट एसोसिएशन ने बंद में अपने को भागीदार बनाया।
हालाँकि समता मूलक समाज की और से बंद को कोई आह्वान नहीं किया गया पर सोशल मीडिया के संदेशों के आधार पर व्यापारियों ने प्रातः दुकाने और शोरूम नहीं खोले। निजी स्कूल ने कल ही बंद का समर्थन दे दिया था इस कारण निजी स्कूलें आज बंद रही। बंद के दौरान पुलिस का व्यापक बंदोबस्त था।
बीकानेर संवाददाता के अनुसार कुछ संगठनों द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति विधेयक के विरोध में आज बंद के आह्वान का मिला जुला असर रहा। व्यापारिक संगठनों द्वारा अपने प्रतिष्ठान बंद रखने की घोषणा के बाद शहर के प्रमुख बाजार पूरी तरह बंद रहे हालांकि इस दौरान फल सब्जियों की दुकानें खुली रहीं। बाजारों पर कुछ दुकानें खुली रहीं तो कुछ बंद रही।
इस दौरान शहर में किसी भी संगठन ने जुलूस नहीं निकाला और न ही दुकानें बंद कराने की कोशिश की। व्यापारियों ने स्वेच्छा से दुकानें बंद रखीं या खोली। लिहाजा बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा है। फिलहाल कहीं से किसी तरह की अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।
इसी प्रकार चित्तौडग़ढ़ जिले में निम्बाहेड़ा को छोडक़र व्यापक असर रहा। इस दौरान बड़ी संख्या में राजकीय कर्मिर्यों के अवकाश पर चले जाने से दफ्तर भी सूने रहे। कहीं किसी अप्रिय घटना के समाचार नहीं है।
राष्ट्रव्यापी बंद के तहत आज सुबह से ही जिला मुख्यालय के अलावा उपखंड मुख्यालय बेंगू , कपासन, गंगरार, भदेसर, बड़ीसादड़ी के साथ छोटे मोटे कस्बों में भी बंद का व्यापक असर देखा गया। जिले के निम्बाहेड़ा नगर में बंद का आंशिक असर रहा और कई प्रतिष्ठान खुले रहे।
जिला मुख्यालय पर आज सुबह से ही बंद का असर पुराने शहर सहित उपनगरीय क्षेत्रों चंदेरिया, स्टेशन व सेंथी में व्यापक रूप में देखने को मिला। हालात यह थे कि आम लोग चाय पानी को भी तरस गए।
इधर कलैक्ट्री सहित नगर परिषद एवं पंचायत समिति कार्यालय में भी एक्ट के विरोध में सवर्ण समाज के कार्मिकों के अवकाश पर चले जाने से सन्नाटा छाया रहा और बाहर से अपने सरकारी कार्यों को लेकर यहां आने वाले फरियादी निराश लौटे।
इसी बीच युवाओं की कई टोलियां बाईकों पर सवार होकर शहर में घूमती रही लेकिन स्वैच्छिक बंद के कारण कहीं कोई अप्रिय घटना के समाचार नहीं मिले। टोलियों के साथ पुलिस का भी व्यापक बल साथ साथ घूमता रहा।
दोपहर बाद बंद समर्थक संगठनों श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के बृजेंद्रसिंह भाटी, परशूराम सेना के ओम शर्मा दुर्ग, समता मंच के राधेश्याम जोशी व अन्य के नेतृत्व सैंकड़ों लोग कलक्ट्री पर एकत्र हुए प्रशासन को केंद्र सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा।
अजमेर में बंद का असर, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के नहीं खुले ताले