अजमेर। एसी/एसटी एक्ट संशोधन को लेकर अजमेर बंद के बीच समता आंदोलन समिति ने छह राष्ट्रवादी मांगों को तत्काल लागू करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नाम गुरुवार को कलक्टर आरती डोगरा को ज्ञापन सौंपा।
समिति के जिलाध्यक्ष केजी मोदानी ने बताया कि इस बाबत कलक्टर को ज्ञापन सौपा गया है। इसमें बताया गया कि देश तेजी से जातिगत गृह युद्ध की ओर बढ रहा है। जातिगत गुंडागर्दी से आगे बढकर जातिगत आतंकवाद का रूप ले रही है। गत 2 अप्रेल का अराजक भारत बंद और संसद द्वारा सुप्रीमकोर्ट के संविधान सम्मत निर्णय को पलट कर काला कानून पारित करना इसका पकट प्रमाण है।
आरक्षित 131 सांसदों की जातिवादी राजनीति के सामने पूरी संसद और केन्द्र सरकार लाचार है। अत: देश का संसद को, संविधान को, प्रजातंत्र को मानवीय मूल्यों को बचाने के लिए समता आंदोलन की छह राष्ट्रवादी मांगों पर तत्काल कार्रवाई की जाए।
एससी एसटी अत्याचार संशोधन अधिनियम 2018 निरस्त हो, सुप्रीमकोर्ट का 20 मार्च 2018 का निर्णय लागू हो। इस एक्ट में दर्ज केस खारिज होने पर पीडित को 10 से 50 लाख तक का हर्जाना दिया जाए। केस दर्ज कराने वाले को दी गई अनुग्रह राशि ब्याज समेत वापस ली जाए।
देश को जातिवादी राजनीति से मुक्त कराने के लिए आरक्षण का लाभ सही हकदार को दिलाने के लिए, सरकारी सेवा को दक्ष बनाने के लिए, आरक्षण पीडित को राहत पहुंचाने के लिए समरसता के साथ विकासवादी राजनीति लाने के लिए तथा प्रजातंत्र को मजबूत, क्रियाशील व पारदर्शी बनाने के लिए समता आंदोलन की उक्त छह मांगों पर तुरंत अमल किया जाए। अन्यथा आगामी विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों में प्रजातांत्रिक तरीके से समुचित जवाब दिया जाएगा।
ये हैं समता आंदोलन की छह मांगें
एससी एसटी से क्रिमिलेयर को बाहर किया जाए।
पदोन्नति में जातिगत आरक्षण का अत्याचार 1 अप्रेल 1997 से बंद किया जाए।
समता आंदोलन की योजना के अनुरूप आरक्षण पीडित, सामान्य, ओबीसी को 20 से 70 लाख तक मुआवजा एवं भावी परीक्षा में 5 प्रतिशत बोनस अंक दिया जाए।
विधानसभा व लोकसभा सीटों का अविधिक आरक्षण बंद करके टिकटों का आरक्षण शुरू किया जाए।
समता विधायक सलाहकार परिषद, सांसद सलाहकार परिषद को कानूनी मान्यता दी जाए।