इंफाल । मणिपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय (एमसीयू) में मई के अंत में शुरू हुए संकट का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है जिसके कारण सभी परीक्षाएं और प्रवेश स्थगित कर दिये गये हैं।
विश्वविद्यालय में तीन माह के आंदोलन के बाद कुलपति प्रो. ए एस पांडेय के खिलाफ जांच कराने तथा जांच के दौरान श्री पांडेय के अवकाश पर रहने का समझौता हुआ। विश्वविद्यालय में सामान्य स्थिति बहाल हो रही थी कि इस बीच एक सितंबर को प्रो. पांडेय मणिपुर पहुंचे और उन्होंने कुलपति का पदभार संभाल लिया है तथा विवि में सभी छात्र और शिक्षक संगठनाें को प्रतिबंधित करने की घोषणा कर दी।
प्रो. पांडेय ने कुलाधिपति के उस आदेश को मानने से भी इन्कार कर दिया कि उन्हें अवकाश पर रहना चाहिए। साथ ही उन्होंने सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच को भी नकारते हुए यह भी एलान कर दिया कि उनका निवास कुलपति कार्यालय के रुप में काम करेगा। प्रो. पांडेय पर लंबी अवधि तक बाहर रहने तथा विवि के धन के दुरूपयोग करने तथा विवि अधिनियम के तहत बजट पेश करने के लिए वैधानिक बैठकें नहीं बुलाने के भी आरोप लगाये गये हैं। प्रो. पांडेय ने हालांकि कहा कि बजट के लिए बैठकें बुलाने की अनिवार्यता नहीं थी।
हाल में हुई इन घटनाओं के कारण विश्विद्यालय में सभी परीक्षाएं फिर से स्थगित कर दी गयीं हैं। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार, एमयू समुदाय और राज्य सरकार के बीच हुआ त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन सभी पक्षों के लिए बाध्यकारी है तथा इसके बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। उन्होंने अपनी उपस्थिति में हुए इस समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य सरकार हाल की घटनाओं और समझौते की शर्ताें के अनुरूप उसे लागू करवाने को लेकर केंद्र सरकार पर भी दवाब डालेगी।
एमसीयू के छात्रों ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर की इस मसले पर लंबे समय से चुप्पी का विरोध करते हुए पूछा है कि केंद्र की निष्क्रियता के कारण जब छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है तो केंद्र ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। उन्होंने कहा कि केंद्र की खामोशी के कारण विवि में तीन माह से अधिक समय से सामान्य शैक्षणिक गतिविधियां बाधित हैं।
जावडेकर ने इस मसले पर चर्चा के लिए अभी तक मणिपुर का दौरा नहीं किया है। कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और अन्य राजनीतिक पार्टियों ने छात्रों का शैक्षणिक करियर बाधित हाेने के संबंध में पहले ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और जावडेकर को अवगत करा दिया है। केंद्र सरकार की उदासीनता की निंदा करते हुए गुरुवार से छात्रों ने सड़कों पर उतरना शुरू कर दिया है। राजभवन और मुख्यमंत्री कार्यालय के समक्ष छात्रों के प्रदर्शन के प्रयासों को देखते हुए दोनों स्थानों तथा मुख्यमंत्री निवास के समक्ष सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गयी है।