अजमेर। वीर शहीद अब्दुल हमीद को सोमवार को शहीद स्मारक पर आयोजित एक कार्यक्रम में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
गरीब नवाज वेलफेयर सोसायटी की ओर से शाम चार बजे रेलवे स्टेशन के पास शहीद स्मारक स्थल पर आयोजित कार्यक्रम में सभी धर्म और समाजों से जुडे लोग जुटे और बलिदानी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
संस्था अध्यक्ष दिलीपसिंह राठौड़ ने बताया कि शहीद अब्दुल हमीद का बलिदान देश कभी भुला नहीं सकता। महावीर चक्र और परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद अब्दुल हमीद ने 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध में साहस और वीरता दिखाते हुए दुशमनों के शक्तिशाली कई अमरीकन पैटन टैंकों को धवस्त कर मुहतोड़ जवाब दिया और वीरगति को प्राप्त हुए।
सैयद कुतुब चिश्ती ने बताया कि अब्दुल हमीद का जन्म 1 जुलाई 1933 को उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर ज़िले में स्थित धरमपुर नाम के छोटे से गांव में एक गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद उस्मान था जो परिवार की आजीविका को चलाने के लिए कपड़ों की सिलाई का काम करते थे।
अब्दुल हमीद का मन सिलाई के काम में बिलकुल नहीं लगता था, वे तो बस कुश्ती, दंगल और दांव पेंचों के दीवाने थे। पहलवानी उनके खून में थी जो विरासत के रूप में मिली। उनके पिता और नाना दोनों ही पहलवान थे। वीर हमीद शुरू से ही लाठी चलाना, कुश्ती करना और बाढ़ में नदी को तैर कर पार करना, सोते समय फौज और जंग के सपने देखना तथा अपनी गुलेल से पक्का निशाना लगाना उनकी खूबियों में था।
उनका एक सबसे अच्छा गुण दूसरो की हर समय मदद करना था। जरूरतमंद लोगों की सहायता और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना। जुल्म को बर्दास्त ना करना उनकी फितरत बन चुकी थी। एक बार उनके गांव में जब एक गरीब किसान की फसल को जमीदार के करीब 50 आदमी जबरजस्ती काटकर ले जाने के लिए आए। हमीद को जैसे ही इस बात का पता चला तो वे किसान की मदद को तुरंत पहुंच गए और दबंगों से भिड गए। आखिरकार दबंगों को वहां से भागना पडा और गरीब किसान की फसल बच गई।
इस अवसर पर सोसायटी की ओर से पुष्प अर्पित करने वालों में रीयाज अहमद मंसूरी, भारती श्रीवास्तव, शब्बीर खान, कांजी अलीमुद्दीन, अब्दुल हफिज, दिनेश गोयल, रुसतम अली घोसी, सरदार भजन सिंह, कल्लु कुरैशी, फखरुद्दीन शाह, प्रभुदास मेघवाल, हरीप्रसाद जाटव, रज्जाक भाटी, अविनाश, अभिषेक चौधरी, फुरकान मेहंदी, कपिल गुर्जर, शेख बादशाह, अकबर हुसैन, सज्जी मैथ्यू, तरूण अग्रवाल, राजवीर सिंह, हेमंत जसोरिया, नवाज खान, वसीम अली, तुशार चरनाल, मोईनुद्दीन आदि मौजूद रहे।