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शिव पार्वती के विवाह का पर्व हरतालिका तीज - Sabguru News
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शिव पार्वती के विवाह का पर्व हरतालिका तीज

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शिव पार्वती के विवाह का पर्व हरतालिका तीज

सबगुरु न्यूज। धार्मिक कथाओं में पर्वत राज हिमालय की पुत्री पार्वती भगवान शिव से विवाह करने के लिए अत्यधिक तप करने लगी और उनकी देखभाल में उनकी सहेलियां थी। कई वर्षों तक तपस्या में लीन रहने के बाद भी शिव प्रसन्न नहीं हुए और पार्वती जी की शादी उनके पिता अन्यत्र करने लगे।

यह जानकारी मिलते ही पार्वती जी की सहेलियों ने उन्हें बता दिया तथा पार्वती जी की इच्छा के अनुसार उनकी सहेलियों ने उनका हरण कर लिया व उन्हें एक गुफा में छोड़ दिया। उस गुफा में पार्वती जी को सामने शिव मिल गए ओर शिव ने भी प्रसन्न होकर पार्वती जी विवाह के लिए हां कह दी।

उस समय पार्वती जी के पिता हिमालय आ गए और यह बात सुनकर पार्वती का विवाह शिव के साथ विधिवत कर दिया। पार्वती जी की सहेलियों द्वारा पार्वती जी का यह हरण और शिव पार्वती का विवाह हर तालिका तीज के नाम से जाना गया।

भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया के दिन हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस दिन सोने, चांदी, तांबे, बांस या मिट्टी के पात्र में दक्षिणा, फल वस्त्र तथा पकवान आदि दान किए जाने की प्रथा है। इस व्रत के प्रभाव से स्त्रियां गोरी देवी की सहचरी हो जाती है तथा सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

तीज शब्द तृतीय तिथि को इंगित करता है। हरतालिका तीज भाद्रपद के महीने (अगस्त-सितंबर) की शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि पर आती हैं। यह दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि शिव और पार्वती का इस दिन विवाह हुआ था। कहा गया है कि देवी सती का पुनरुत्थान मैना और हिमवान या हिमलया के घर हुआ था।

पार्वती ने भगवान शिव की बचपन से पूजा की और उसने अपने पिता से तप करने की अनुमति ली, क्योंकि वह अपनी इच्छा के पति से विवाह करना चाहती थी। कई साल बीत गए तो भी पार्वती ने अपनी तपस्या जारी रखी जब तक ऋषि नारद एक प्रस्ताव के साथ आए। हर कोई उत्सुकतापूर्वक सहमत हो गया और विश्वास नहीं कर सका कि पार्वती को ऐसा प्रस्ताव मिला है। पार्वती यह सुनकर बेहोश हो गई कि उनके परिवार ने भगवान विष्णु से उनका विवाह करने का फैसला किया है।

पार्वती की सखी को पता था कि पार्वती शिव को अपने पति के रूप में चाहती थी, उन्होंने सुझाव दिया था कि वे उसे एक दूर के जंगल में ले जाएंगे जहां वह ध्यान कर सकती है। पार्वती ने इस विचार को स्वीकार कर लिया और अपनी सहेलियों के साथ चल पड़ी। जब उन्हें एक गुफा मिल गई, उसने अपने सहेलियों को छोड़ने के लिए कहा। जैसे ही वह वह गुफा में प्रवेश करने लगी तो गुफा में बैठे शिव को देखा।

भगवान शिव ने पार्वती जी की प्यार और भक्ति को देखकर उसे पत्नी के रूप में स्वीकार लिया। हिमवान ने अंततः अपनी लापता बेटी को जंगल में पाया, यह सुनकर कि वहां क्या हुआ था, उसने शादी की व्यवस्था करवाई। शब्द ‘हर’ का अर्थ है दूर ले जाना और जब से पार्वती को अपनी् सहेलियों द्वारा जंगल को ले जाया गया था, जिस कारण उन्हें हरतालिका नाम दिया गया था। हर भी शिव का नाम है।

अविवाहित लड़कियां इस दिन अपनी इच्छा का पति पाने के लिए और शादीशुदा जीवन को सुखी और समृद्ध व आनंद के लिए उपवास करती हैं।

सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर