नयी दिल्ली । कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आम लोगों की बजाय ‘घपलेबाजों ’ के लिए काम करने का आरोप लगाते हुये आज कहा कि बैंको का करोड़ों रूपये का रिण लेकर फरार हुए विजय माल्या के मामले में सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पर विश्वास नहीं किया जा सकता तथा इसलिए उसके देश से भागने के संबंध में अदालत की निगरानी में स्वतंत्र जांच करायी जानी चाहिये।
कांग्रेस के मीडिया पैनल के सदस्य जयवीर शेरगिल ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, “माल्या को भगाने में जिस प्रकार सीबीआई के एक संयुक्त निदेशक की भूमिका सामने आयी है उसके बाद न तो सरकार और न ही जांच एजेंसी पर विश्वास किया जा सकता है। इसलिए हम इस मामले की स्वतंत्र जाँच की माँग करते हैं। …हम चाहते हैं कि यह जाँच अदालत की निगरानी में करायी जाये।”
शेरगिल ने कहा कि यह सरकार ‘कॉमन मैन’ (आम आदमी) की जगह ‘कॉन मैन’ (घपलेबाजों) के लिए काम कर रही है। उन्होंने दावा किया कि पिछले चार साल में 23 हजार बैंक घोटाले हुये हैं जिनमें घपलेबाजों ने बैंकों को 90 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस दौरान विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और राजीव गोयल समेत 23 बड़े घपलेबाज बैंकों का पैसा लेकर सरकार की मदद से विदेश भाग चुके हैं।
पार्टी ने मांग की कि सिर्फ माल्या ही नहीं सभी 23 भगोड़ों को देश छोड़कर जाने में किसने मदद की इसकी जांच होनी चाहिये। इन मामलों में सीधे प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और सीबीआई की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिये। प्रधानमंत्री को संसद के माध्यम से देश को बताना चाहिये कि इन भगोड़े आर्थिक अपराधियों को कब तक देश वापस लाया जायेगा और आम लोगों का जो पैसा लेकर ये विदेश भागे हैं उसकी भरपाई कैसे की जायेगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली और माल्या की मुलाकात को “जब वी मेट-2” की संज्ञा देते हुये श्री शेरगिल ने पूछा कि इस पर तीन साल तक पर्दा क्यों डाला गया। भाजपा नेताओं के इस मुलाकात से इनकार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यदि भाजपा में हिम्मत है तो वह एक मार्च 2016 की संसद के सीसीटीवी कैमरे की पूरी रिकॉर्डिंग जंतर-मंतर पर चलवाये ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
उन्होंने आरोप लगाया कि वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री आम लोगों के पैसे की हिफाजत करने की बजाय बैंकों का ऋण डकारने वालों के वफादार बने हुये हैं। यह सरकार घोटालेबाजों को भगाने में चुस्त और पकड़ने में सुस्त है। पिछले चार साल में 23 आर्थिक अपराधी देश छोड़कर भागने में कामयाब रहे हैं जबकि एक को भी सरकार वापस नहीं ला पायी है।
कांग्रेस नेता ने सवाल किया “जब तीन साल पहले सीबीआई के ‘टॉप बॉस’ और गृह मंत्रालय को पता चल चुका था कि माल्या मामले में लुकआउट नोटिस बदला गया है तो अब कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी। …जनता पूछ रही है कि भाजपा ने कब-कब और क्यों लुटेरों को भगाया इसकी जाँच होनी चाहिये।” उन्होंने कहा कि यदि इस मामले में सीबीआई सच्ची है तो एजेंसी के प्रमुख को बयान देना चाहिये।
शेरगिल ने कहा कि विजय माल्य, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के तीन मामले सिर्फ ‘ट्रेलर’ हैं। उन्होंने कहा “अच्छे दिन सिर्फ धोखाधड़ी और घोटाले करने वालों के आये हैं। सरकार ‘लूटो, भागो और बाहर जाकर बस जाओ’ का कार्यक्रम चला रही है।” उन्होंने माँग की कि सिर्फ इस बात की ही जाँच न हो कि ये घोटाले कैसे हुये, इस बात की भी जाँच की जानी चाहिये कि घोटालेबाजों को भागने में किसने मदद की।