अजमेर। राजकीय विधि महाविद्यालय अजमेर में व्याप्त समस्याओं को लेकर सोमवार को छात्र संघ के नेतृत्व में मुख्य दीवार पर चढ़कर उग्र प्रदर्शन किया गया एवं छात्रों ने मुख्य द्वार को ताला जड़कर मुख्यमंत्री के नाम व शिक्षा संकुल के नाम प्राचार्य को ज्ञापन सौंपा।
छात्रसंघ अध्यक्ष रचित कच्छावा के नेतृत्व में दिए ज्ञापन में बताया गया कि बीते साल जैसे तैसे मुख्यमंत्री के प्रयासों से विधि महाविद्यालय को एक साल के लिए अस्थाई मान्यता तो मिल गई।
पूर्व में कलेक्टर के जरिए मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में शिक्षकों की कमी तथा स्थाई मान्यता की ओर ध्यान दिलाया गया था। तब मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी, शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने शिक्षकों की कमी दूर करने का भरोसा दिलाया था। लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
विधि महाविद्यालय मान्यता की समस्या और शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है। महाविद्यालय परिसर चारदीवारी विहिन होने से सुरक्षा संबंधी परेशानी बनी रहती है। सभी महाविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है किंतु विधि महाविद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया हर साल की भांति इस वर्ष भी अभी तक प्रारंभ नहीं हुई है।
अध्यक्ष रचित कच्छावा ने कहा कि पाली जिले के विधि महाविद्यालय में अजमेर से भी अधिक कमियां हैं इसके बावजूद उस महाविद्यालय को मान्यता उपलब्ध करा दी गई। इस बार छात्रसंघ ने दृढ़ संकल्प किया है कि अजमेर के विधि महाविद्यालय को जल्द मान्यता नहीं दी गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। आंदोलन न सिर्फ अजमेर में बल्कि जयपुर व दिल्ली बीसीआई तक होगा।
प्रदर्शन में छात्रसंघ उपाध्यक्ष संजय परसोया, महासचिव धर्मेंद्र बाज्या, संयुक्त सचिव मुकेश मेघवाल अनिल कुमावत, निर्मल कुम्भाकार, ईश्वर काला, हिमांशु चौहान, दुर्गा सांखला, चंद्रकला शर्मा, खुशबू कोठारी, दशरथ गुड़िया, नीरज मेहरा, कल्पित हरित, नितिन कोटिया, विनोद मकवाना, बालूराम, सुमित, योगेश दायमा सहित कई छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।