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40 percent adolescent girls in India are out of school: NCPCR - भारत में 40 फीसदी लड़कियां स्कूलों से बाहर हैं : NCPCR - Sabguru News
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भारत में 40 फीसदी लड़कियां स्कूलों से बाहर हैं : NCPCR

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भारत में 40 फीसदी लड़कियां स्कूलों से बाहर हैं : NCPCR
40 percent adolescent girls in India are out of school: NCPCR
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दिल्ली । कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रे न्सि फाउंडेशन (केएससीएफ), दिल्ली लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (डीएलएसए) और दिल्ली कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (डीसीपीसीआर) के सहयोग से कांस्टिट्यूशन क्लनब मेंआज बाल दुर्व्या)पार (ट्रैफिकिंग) से निपटने में शिक्षा की भूमिका पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

सम्मेलन में बाल दुर्व्यारपार के खिलाफ लड़ाई में शिक्षा के महत्व को जोरदार तरीके से रेखांकित किया गया। सम्मेलन में कक्षा 12 तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की जरूरत पर बल दिया गया, ताकि हाशिए और कमजोर तबके के बच्चों को शिक्षा प्रणाली से जोड़कर बाल दुर्व्यािपार से निपटा जा सके।

इस अवसर पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के सदस्य श्री प्रियांक कानूनगो ने कहा, “केएससीएफ के द्वारा विचार-विमर्श के लिए इस मुद्दे को उठाना एक महत्वपूर्ण कदम है और हम इस पहल की सराहना करते हैं। भारत में 18 साल से कम उम्र की 40 फीसदी लड़कियां और 35 फीसदी लड़के स्कूसलों से बाहर हैं। जो बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं वे बाल दुर्व्या पार के शिकार हो सकते हैं। वे गरीब परिवारों से आते हैं और उनके माता-पिता स्कूशलों की फीस जमा करने में असमर्थ होते हैं।

ऐसे बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा,उनमें आत्म-सम्मान पैदा करेगी और उन्हेंद उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करेगी। शिक्षा से सशक्तिकरण होगा और उस सशक्तिकरण से बाल दुर्व्यागपार से निपटने में मदद मिल सकती है। इस दिशा में कारगर प्रयास के तहत 15-18 वर्ष की लड़कियों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की जरूरत को राज्ये को समझना होगा।”

सम्मेलन में बाल दुर्व्यापार से संबंधित मौजूदा कानूनों, विधायी ढांचा और पुनर्वास प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियों पर भी गहन विचार-विमर्श किया गया।दिल्ली लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के विशेष सचिव सुश्री गीतांजलि गोयल ने कहा कि डीएलएसए बाल दुर्व्याीपार के पीडि़तों के पुनर्वास के लिए केएससीएफ के साथ मिलकर काम करता रहा है। हम बाल दुर्व्यालपार जैसे अपराध को रोकने और उससे बच्चों की सुरक्षा करने और उन्हें् शिक्षित करने के मॉड्यूल पर काम कर रहे हैं।

इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहैवियर एंड एलाइड साइंसेस के निदेशक डा. निमेश देसाई ने कहा कि बाल दुर्व्यापार के शिकार बच्चों का पुनर्वास एक छोटी अवधि के लिए होना चाहिए और फिर बच्चों को उनके परिवार से मिलाना चाहिए। बाल दुर्व्या पार से बच्चोंव को निकालने के बाद उनका मानसिक स्वास्थ्य और उनकी मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक समस्याक एक बड़ी चिंता है। इस स्थिति में दुर्व्यातपार से छूटे बच्चों को आराम के साथ-साथ सामाजिक सहायता की भी जरूरत होती है।

बाल अधिकार कार्यकर्ता श्री भुवन रिभु ने सामूहिक जिम्मेकदारी की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि समय का तकाजा है कि दूसरों को दोष देने से पहले हम खुद अपने से ये पूछे कि हम क्याक कर रहे हैं? उन्होंने कहा, “जब एक बच्चे का दुर्व्या पार किया जाता है तो उस बच्चे के हरेक मौलिक अधिकार को छीन लिया जाता है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंाने कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मे़दारी होनी चाहिए कि हरेक बच्चाा मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा पाए और उसका बचपन सुरक्षित और खुशहाल हो।”

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार सिर्फ साल 2016 में 9,034 बच्चों का दुर्व्या पा‍र किया गया। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 131% बढ़ गया। इसीलिए इस संख्याक को देखते हुए बाल दुर्व्यांपार जैसे संगठित अपराध से निपटने के लिए एक समग्रदृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता है।

इस एकदिवसीय सम्मेालन में विभिन्न संस्थाधनों, जैसे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग,राज्यव बाल अधिकार संरक्षण आयोग, सिविल सोसाइटी संगठन, प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और अनेक बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने बाल दुर्व्यािपार जैसे संगठित अपराध की रोकथाम और पीडि़तों के संरक्षण और पुनर्वास की तत्कांल जरूरत पर बल दिया। उन्होंने पीड़ितों की सुरक्षा और पुनर्वास में आने वाली बाधाओं के बारे में बातचीत की। उन्होंने देशभर में बाल दुर्व्याआपार को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता पर बल दिया।

कैलाश सत्याकर्थी चिल्ड्रे।न्स् फाउंडेशन के बारे में

नोबेल शांति पुरस्का र विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेान्से फाउंडेशन बच्चों के शोषण के खिलाफ और हिंसा की रोकथाम के लिए काम करने वाला एक वैश्विक संगठन है। अपने कार्यक्रमों,प्रत्याक्ष हस्तगक्षेप, अनुसंधान, क्षमता निर्माण, जन-जागरुकता और व्यवहार परिवर्तन के जरिए बाल मित्र दुनिया के निर्माण की ओर सतत अग्रसर संगठन है कैलाश सत्या र्थी चिल्ड्रे्न्सष फाउंडेशन।

श्री सत्यागर्थी के कार्यों और अनुभवों ने हजारों बच्चों् और युवाओं को बाल मित्र दुनिया के निर्माण के लिए प्रेरित और प्रोत्सा हित किया है। उनके कार्यों और अनुभवों से सरकारों, व्यारवसायिक जगत, समुदायों के बीच भागीदारी निर्माण, प्रभावी राष्ट्री य और अंतरराष्ट्री य कानून सुनिश्चित करने और प्रमुख हितधारकों के साथ सफल प्रणालियों पर अमल करने और उसमें भागीदारी करने की दिशा में भी एक नई राह मिली है।