अजमेर। राजस्थान रोडवेज के चक्का जाम को गुरुवार को 11 दिन पूरे हो गए। इस बीच न तो सराकर झुकी और न कर्मचारी झुकने को तैयार हैं। इन दोनों की जिद के चलते अब आम जन का सब्र टूटने लगा है। बसें नहीं चलने से यात्रियों को दर दर भटकना पड रहा है। निजी बस संचालक लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर चांदी काट रहे हैं।
अजमेर केन्द्रीय बस स्टेंड पर भी बस संचालन ठप होने से बस स्टेंड परिसर में लगी चाय, खोमचों तथा अन्य दुकान मालिकों के सामने रोजी रोटी का संकट खडा हो गया है। मोटा किराया भुगतान करने के बाद जैसे तैसे गुजारा चला रहे इन दुकान संचालकों का कहना है कि अगर दो चार दिन ऐसे ही हालात रहे तो मजबूरन काम बंद कर जाना पडेगा।
सरकार को भले ही इस हडताल से फर्क न पड रहा हो लेकिन गरीब तो बर्बादी की गर्त में जा रहा है। कर्मचारी भी देर सवेर काम पर आ जाएंगे लेकिन हम लोग तो कहीं के नहीं रहेंगे। रोडवेज प्रशासन हमसे दुकानों के किराए के रूप में बहुत अधिक वसूली करता है। जब बस संचालन ही नहीं हो रहा है तो हम किराए की रकम कहां से जुटाएंगे।
इसी तरह रोडवेज बस नहीं चलने से ऐसे लोग अधिक परेशान हैं जिन्हें किराए में छूट मिलती है। खासकर सीनियर सिटीजन्स, विकलांग, कैंसर या अन्य किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित रोगी, खिलाडी, महिलाएं, स्कूल कॉलेजों के पास धारक विद्यार्थी आदि के लिए तो ये चक्का जाम मुसीबत बन चुका है। परेशान लोग कभी सरकार को तो कभी रोडवेज कर्मचारियों कोसते नजर आते हैं।
चक्का जाम के बावजूद राज्य सरकार ने पासधारक जरूरतमंद वर्ग के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है। इस वर्ग को निजी बस में किराया अदा कर यात्रा करनी पड रही है। जिन लोगों की माली हालत अच्छी नहीं हैं वे बस स्टेंडों पर ही अटके पडे हैं तथा मांग खाकर गुजारा चला रहे हैं।