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Prime Minister Narendra Modi's mann ki baat-संप्रभुता, सम्मान से समझौता नहीं, आतंक को कड़ा जवाब : मोदी - Sabguru News
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संप्रभुता, सम्मान से समझौता नहीं, आतंक को कड़ा जवाब : मोदी

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संप्रभुता, सम्मान से समझौता नहीं, आतंक को कड़ा जवाब : मोदी
Prime Minister Narendra Modi's mann ki baat
Prime Minister Narendra Modi's mann ki baat
Prime Minister Narendra Modi’s mann ki baat

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पड़ाेसी देश पाकिस्तान का नाम लिए बिना आज कहा कि भारत अपनी संप्रभुता, सम्मान और प्रतिष्ठा के साथ कभी कोई समझौता नहीं करेगा अौर आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देगा।

मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 48वीं कड़ी में राष्ट्र को संबोधित करते हुए सेना के जवानों की भूरि भूरि प्रशंसा की।

सर्जिकल स्ट्राइक की वर्षगांठ पर मनाए गए पराक्रम पर्व का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि अब यह तय हो चुका है कि हमारे सैनिक उन सबको मुंहतोड़ ज़वाब देंगे जो हमारे राष्ट्र में शांति और उन्नति के माहौल को नष्ट करने का प्रयास करेंगे। हम शांति में विश्वास करते हैं और इसे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन सम्मान से समझौता करके और राष्ट्र की संप्रभुता की कीमत पर कतई नहीं।

उन्होंने कहा कि शायद ही कोई भारतीय हो सकता है जिसको अपने सशस्त्र बलों पर, सेना के जवानों पर गर्व न हो। प्रत्येक भारतीय चाहे वो किसी भी क्षेत्र, जाति, धर्म, पंथ या भाषा का क्यों न हो- अपने सैनिकों के प्रति अपनी खुशी अभिव्यक्त करने और समर्थन दिखाने के लिए हमेशा तत्पर रहता है।

भारतीयों ने कल वर्ष 2016 में हुई उस सर्जिकल स्ट्राइक को याद किया था जब हमारे सैनिकों ने राष्ट्र पर आतंकवाद की आड़ में छद्म युद्ध की धृष्टता करने वालों को मुंहतोड़ ज़वाब दिया था। देश में अलग-अलग स्थानों पर सशस्त्र बलों ने प्रदर्शनी लगाई ताकि अधिक से अधिक देश के नागरिक खासकर युवा-पीढ़ी अपनी ताक़त जान सके।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पराक्रम पर्व जैसा दिवस युवाओं को सशस्त्र सेना की गौरवपूर्ण विरासत की याद दिलाता है और देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित भी करता है। उन्होंने कहा कि भारत सदा ही शांति के प्रति वचनबद्ध और समर्पित रहा है।

बीसवीं सदी में दो विश्वयुद्धों में एक लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने शांति के प्रति अपना सर्वोच्च बलिदान दिया जबकि उस युद्ध से भारत का कोई वास्ता नहीं था।

उन्होंने कहा कि भारत की नजर किसी और की धरती पर कभी भी नहीं थी। कुछ दिन पहले ही 23 सितम्बर को इस्राइल में हैफा की लड़ाई के एक सौ वर्ष पूरे होने पर मैसूर, हैदराबाद और जोधपुर लांसर उन वीर सैनिकों को याद किया गया जिन्होंने आक्रान्ताओं से हैफा को मुक्ति दिलाई थी। यह भी शांति की दिशा में भारतीय सैनिकों का एक पराक्रम था।

आज भी संयुक्त राष्ट्र की अलग-अलग शांति सेनाओं में भारत सबसे अधिक सैनिक भेजने वाले देशों में से एक है। दशकों से हमारे बहादुर सैनिकों ने नीली टोपी पहन विश्व में शांति कायम रखने में अहम भूमिका निभाई है।

वायुसेना के पराक्रम का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि आसमान में अपनी शक्ति का परिचय देकर के भारतीय वायुसेना ने हर देशवासी का ध्यान अपनी ओर खींचा है और सुरक्षा का अहसास दिलाया है। उन्होंने आठ अक्टूबर को ‘वायुसेना दिवस’ का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 1932 में छह पायलट और 19 वायु सैनिकों के साथ एक छोटी सी शुरुआत से बढ़ते हुए भारतीय वायुसेना आज 21वीं सदी की सबसे साहसिक और शक्तिशाली वायुसेना में शामिल हो चुकी है।

मोदी ने कहा कि राहत एवं बचाव कार्य और आपदा प्रबंधन में वायु सैनिकों के प्रति देश कृतज्ञ है। तूफ़ान, बवंडर, बाढ़ से लेकर जंगल की आग तक की प्राकृतिक आपदा से निपटने और देशवासियों की मदद करने का उनका जज़्बा अदभुत रहा है।

उन्हाेंने कहा कि देश में लैंगिक समानता यानी स्त्री और पुरुष की समानता सुनिश्चित करने में वायुसेना ने मिसाल कायम की है और अपने प्रत्येक विभाग के द्वार देश की बेटियों के लिए खोल दिए हैं। वायुसेना महिलाओं को शॉर्ट सर्विस कमीशन के साथ स्थायी कमीशन का विकल्प भी दे रही है।

भारत गर्व से कह सकता है कि भारत की सेना में सशस्त्र बलों में पुरुष शक्ति ही नहीं, स्त्री-शक्ति का भी उतना योगदान बनता जा रहा है। नारी सशक्त तो है ही, अब सशस्त्र भी बन रही है।

मोदी ने कहा कि देश के लिए अपनी सेवा देने वाले सभी वायुसैनिकों और उनके परिवारों का मैं अपने ह्रदय की गहराई से अभिनंदन करता हूं। वर्ष 1947 में जब पाकिस्तान के हमलावरों ने एक अप्रत्याशित हमला शुरू किया तो यह वायुसेना ही थी जिसने श्रीनगर को हमलावरों से बचाने के लिए ये सुनिश्चित किया कि भारतीय सैनिक और उपकरण युद्ध के मैदान तक समय पर पहुंच जाएं।

वायुसेना ने वर्ष 1965 में भी दुश्मनों को मुंहतोड़ ज़वाब दिया। वर्ष 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई कौन नहीं जानता है। वर्ष 1999 करगिल की घुसपैठियों के कब्ज़े से मुक्त कराने में भी वायुसेना की भूमिका अहम रही है। टाइगर हिल में दुश्मनों के ठिकानों में रात-दिन बमबारी कर वायुसेना ने उन्हें धूल चटा दी।

खरीददारी करें तो किसी-न-किसी देशवासी का भला

प्रधानमंत्री ने कहा कि गांधी जी के इस जंतर को याद करते हुए आने वाले दिनों में कुछ खरीददारी करें तो किसी-न-किसी देशवासी का भला होना चाहिए। जिसे व्यक्ति ने अपना पसीना बहाया है, पैसे लगाए हैं और प्रतिभा खपाई है, उन सबको कुछ-न-कुछ लाभ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सबसे ग़रीब और कमज़ोर आदमी के जीवन में एक छोटा सा कदम बहुत बड़ा परिणाम ला सकता है।

स्वच्छता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस छोटे से कार्य से भी देश की आर्थिक उन्नति में, आर्थिक सशक्तिकरण में, ग़रीब को ग़रीबी के खिलाफ़ लड़ाई लड़ने की ताक़त देने में बहुत बड़ा योगदान हो सकता है और यह आज के युग की यही सच्ची देशभक्ति है। यह पूज्य बापू को कार्यांजलि है।

त्योहारी सीेजन का उल्लेख किए बिना मोदी ने कहा कि जैसे विशेष अवसरों पर खादी और हैंडलूम के उत्पाद खरीदने अनेक बुनकरों को मदद मिलेगी। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह खादी के पुराने या कटे-फटे वस्त्रों को भी इसलिए सहज कर रखते थे क्योंकि उसमें किसी का परिश्रम छुपा होता है।