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ham or hamara samvidhan book by Ramesh Patange-भारत का संविधान हमारे परंपरागत व्यवहार पर आधारित : रमेश पतंगे - Sabguru News
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भारत का संविधान हमारे परंपरागत व्यवहार पर आधारित : रमेश पतंगे

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भारत का संविधान हमारे परंपरागत व्यवहार पर आधारित : रमेश पतंगे

जयपुर। भारत का संविधान हमारे परंपरागत व्यवहार पर आधारित हैं, अमरीका के संविधान का रूप राजनीतिक है एवं भारत के संविधान का रूप सामाजिक है। विविधता में एकता इस राष्ट्र की विरासत रही हैं।

ये विचार व्यक्त किए प्रसिद्ध लेखक एवं विचारक रमेश पतंगे ने वह आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क विभाग द्वारा पाथेय भवन स्थित महर्षि नारद सभागार में आयोजित अपनी पुस्तक हम और हमारा संविधान के विमोचन अवसर पर बोल रहे थे।

उन्होंने कहा की स्वतंत्रता के समय देश में सैकड़ों रियासतें थीं। समाज में खानपान, उपासना पद्धति, भाषा, जाति के रूप में अनेक विविधताएं विद्यमान थीं। इन विविधताओं को एक राष्ट्र के रूप में एकत्रित कर खड़ा करना संविधान के लिए बड़ी चुनौती था।

संविधान की नीव में ही भारत के विचार का दर्शन होता जाता हैं। राष्ट्र के लिए विचार करने वाली तत्कालीन कांग्रेस अपने घोर आलोचक रहे डॉ अंबेडकर को संविधान सभा में लाने के लिए बॉम्बे प्रेसीडेंसी से चुने हुए बैरिस्टर जयकर का इस्तीफा करवाती है।

डॉ अंबेडकर को और भी अचरज होता है जब उन्हें प्रारूप समिति में लेकर उसका अध्यक्ष बनाया जाता है। डॉ अंबेडकर जब संविधान निर्माण में लगते हैं तो वे दलित नेता के बजाय विविधता से परिपूर्ण संपूर्ण राष्ट्र के हित को ध्यान में रख राष्ट्रीय नेता के रुप में अपनी भूमिका निभाते हैं।

रमेश पतंगे ने बताया की संविधान के तकनीकी विषयों की जानकारी अनेक पुस्तकों में देखने को मिलती हैं, पर संविधान की आत्मा को समझने के लिए राष्ट्र के मूल विचार को जानना चाहिए जो संविधान निर्माताओं के व्यक्तित्व में भी देखने को मिलता हैं।

संविधान निर्माताओं ने राष्ट्र की प्रभुसत्ता यहां के नागरिकों में निहित माना और लिखा हैं who are we, we are the people of India, we are the sovereign. समाज में अनेक विभिन्नताएं हैं और अनेक वैचारिक भेद हैं। व्यवहारिकता में भी दोष हैं। लेकिन भारत के मूल विचारों का तत्व ज्ञान हो तो व्यावहारिकता के दोष खत्म हो सकते हैं, व्यवहार में समानता तब संभव है जब मन में समानता का भाव रहे।

भारत के संविधान में इस तरह का प्रावधान हैं कि विधायिका के कानून को भी न्यायालय में चुनौती दी जा सकती हैं। ऐसे में किसी भी बदलाव के लिए कानून का सम्मान करने वाले मार्ग का चयन करना चाहिए। संविधान के प्रारूप में बड़े गुण शब्द भी हैं जैसे लोकतांत्रिक गणतंत्र दोनो एक शब्द में समाविष्ट हैं।

कार्यक्रम में गुजरात उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश यादराम मीणा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यवाह हनुमान सिंह राठौड़ एवं जयपुर प्रांत संघचालक डॉ.रमेश चंद्र अग्रवाल का सान्निध्य प्राप्त हुआ।

इससे पहले सभी अतिथियों ने भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन और वंदे मातरम से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। समापन जन गण मन से हुआ।