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India can't be defined in narrow sense, embraces diverse views says pranab mukherjee-संकुचित मानसिकता का भारतीय समाज में कोई स्थान नहीं : प्रणब मुखर्जी - Sabguru News
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संकुचित मानसिकता का भारतीय समाज में कोई स्थान नहीं : प्रणब मुखर्जी

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संकुचित मानसिकता का भारतीय समाज में कोई स्थान नहीं : प्रणब मुखर्जी
India can't be defined in narrow sense, embraces diverse views says pranab mukherjee
India can’t be defined in narrow sense, embraces diverse views says pranab mukherjee

जयपुर। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारतीय संस्कृति समावेशी संस्कृति है और इसमे संकुचित मानसिकता का कोई स्थान नहीं है।

मुखर्जी बुधवार को जेके लक्ष्मीपत विश्वविद्यालय में उनके सम्मान आयोजित ‘युवा और राष्ट्र निर्माण’ कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र की परिभाषा वहां पर बने भवनों, मार्गों और भू भाग से नहीं होती, बल्कि वहां रहने वाले नागरिकों की सभ्यता और संस्कृति से परिभाषित होती है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज समावेशी समाज है और गत पांच हजार वर्षो में हमने विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं को अंगीकार किया है।

उन्होंने कहा कि सवा सौ करोड़ की आबादी वाले इस देश में करीब 120 प्रकार की भाषाएं और उपभाषाएं बोली जाती है साथ ही अलग अलग तरह से धर्माें को मानने वाले लोग रहते है और अलग अलग तरह की जीवन पद्धति से जीवन जीते हैं। इस विभिन्नता में एकता ही हमारे देश की पहचान है। भारतीय समाज की अवधारणा में वसुधैव कुटुम्कम हमारा आदर्श है। साथ ही सर्वेन्तु सुखानी भवन्तु हमारे समाज की मूल अवधारणा है।

मुखर्जी ने कहा कि भारत एक व्यापक और उदार सोच वाला देश है और इसमें संकुचित साेच के लिए कोई स्थान नहीं है। मानवता की सेवा को ही सर्वोपरी बताते हुए मुखर्जी ने कहा कि इस देश में सदियों से मानव कल्याण को ही सर्वप्रथम माना है। युवा शक्ति का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा कि देश की 65 प्रतिशत आबादी युवाओं की है और इसे रचनात्मक कार्याे में लगाना होगा अन्यथा यहीं बेकार युवाशक्ति देश के लिए घातक साबित हो सकती है।

इससे पूर्व मुखर्जी को पांचवा जे के लक्ष्मीपत विश्वविद्यालय लॉरेटी पुरस्कार -20।8 से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्ति को प्रदान किया जाता है।