सबगुरु न्यूज-सिरोही। माउण्ट आबू का बिल्डिंग बायलाॅज लागू करने को लेकर जनता की अदालत में माउण्ट आबू वासियों ने बड़ा फैसला लिया है। आबू संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे आंदोलन की रणनीति में 6 अक्टूबर को चुनाव आचार संहिता लगने के बाद एकाएक परिवर्तन किया गया।
शाम को जनता की अदालत लगी जिसमें सभी पार्षदों ने कथित रूप से आंदोलन में सहयोग नहीं देने के लिए पालिकाध्यक्ष व उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मंशा जताई और राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारियों ने आगामी चुनावों में माउण्ट आबू में अपनी पार्टी का प्रचार नहीं करने का संकल्प किया। आबू संघर्ष समिति ने चुनाव आयुक्त को ज्ञापन देकर माउण्ट आबू में बिल्डिंग बायलाॅज लागू नहीं होने पर विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का फैसला किया है।
माउण्ट आबू में बिल्डिंग बायलाॅज लागू करने को लेकर 3 अक्टूबर से जन आंदोलन की शुरूआत हो गई। पूर्व घोषणा के अनुसार आबू संघर्ष समिति गठित करके माउण्ट आबू बंद रखा गया। 6 अक्टूबर तक बिना किसी विवाद के हर व्यक्ति ने अपनी आने वाली पीढ़ीयों के बेहतर भविष्य के लिए संघर्ष की लड़ाई में आहूति दी।
6 अक्टूबर को आचार संहिता लगने के बाद आबू संघर्ष समिति ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। माउण्ट आबू खोल दिया गया और चुनाव बहिष्कार व कथित रूप से आंदोलन में सहयोग नहीं करने पर अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर सहमति जताई। इस पर जनता के समक्ष माउण्ट आबू के 18 पार्षदों ने हस्ताक्षर किए।
-चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी
आबू संघर्ष समिति ने माउण्ट आबू मे बिल्डिंग बायलाॅज लागू करने को लेकर चुनाव आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा। समिति के अध्यक्ष सुनील आचार्य ने सबगुरु न्यूज को बताया कि इस ज्ञापन में बताया गया कि यदि आबू के लोगों के मूलाधिकारों के लिए बिल्डिंग बायलाॅज लागू नहीं किया गया तो 7 दिसम्बर को होने वाले विधानसभा चुनावों का बहिष्कार किया जाएगा। इसके लिए रविवार को हुई बैठक में नारा भी तैयार कर लिया गया है कि बायलाॅज नहीं तो मतदान नहीं।
-भाजपा और कांग्रेस नेताओं का समर्थन
माउण्ट आबू के अधिकारों की लड़ाई के लिए पार्टियों से उपर उठकर नेताओं ने सहयोग करने की पहल की। माउण्ट आबू ब्लाॅक अध्यक्ष नारायणसिंह ने जनता के सामने यह संकल्प किया कि वह माउण्ट आबू में अपनी पार्टी का प्रचार आगामी चुनावों में नहीं करेंगे तो भाजयुमो अध्यक्ष नरपत चारण ने भाजपा का प्रचार माउण्ट आबू में नहीं करने की बात जनता के बीच कही। वहीं भाजपा के पार्षदों ने इसके लिए अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का संकल्प जनहित में कर लिया।