नई दिल्ली/जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में जीका वायरस के कुछ मामले सामने आने के मद्देनजर सात सदस्यीय उच्चस्तरीय केन्द्रीय दल को राज्य सरकार की सहायता के लिए वहां भेजा गया है और दल इस बीमारी की निगरानी कर रहा है।
सोमवार को जारी आधिकारिक बयान के अनुसार आईसीएमआर की निगरानी प्रणाली के माध्यम से जयपुर में इस बीमारी की जानकारी मिलने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के निर्देश पर केन्द्रीय दल को वहां भेजा गया है।
नड्डा लगातार अपने स्तर पर स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव इसकी निगरानी कर रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) के नेतृत्व में तकनीकी विशेषज्ञों के एक उच्चस्तरीय संयुक्त निगरानी समूह की दो बार बैठक हुई है।
उच्चस्तरीय केंद्रीय दल पांच अक्टूबर से जयपुर में है। राष्ट्रीय बीमारी नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) में नियंत्रण कक्ष कार्य कर रहा है ताकि स्थिति पर नियमित रूप से नजर रखी जा सके। चिह्नित क्षेत्र में सभी संदिग्ध मामलों तथा मच्छरों के नमूनों की जांच की जा रही है। वायरल शोध तथा निदान प्रयोगशालाओं को जांच के अतिरिक्त किट प्रदान किए जा रहे हैं।
राज्य सरकार को जीका वायरस संक्रमण और रोकथाम के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए आईईसी सामग्री भेजी गई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से क्षेत्र की सभी गर्भवती माताओं की निगरानी की जा रही है। राज्य सरकार क्षेत्र में निगरानी तथा मच्छर नियंत्रण के उपाय कर रही है।
जीका वायरस दुनिया के 86 देशों में पाया जा चुका है। जीका वायरस संक्रमण के लक्षण डेंगू जैसे वायरल संक्रमण की तरह है। बीमारी के लक्षणों में बुखार आना, त्वचा पर लाल चकत्ते उभरना, आंख में जलन होना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, बैचेनी और सिरदर्द आदि शामिल हैं।
भारत में पहली बार यह वायरस जनवरी- फरवरी 2017 में अहमदाबाद में पाया गया था और दूसरी बार 2017 में यह बीमारी तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में पाई गई। दोनों ही मामलों में सघन निगरानी और मच्छर प्रबंधन के जरिए काबू पाया गया।