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क्या वी सतीश की तरह मुख्यमंत्री के सामने भी आएगी विधायकों की एंटीइंकम्बेंसी? - Sabguru News
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क्या वी सतीश की तरह मुख्यमंत्री के सामने भी आएगी विधायकों की एंटीइंकम्बेंसी?

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क्या वी सतीश की तरह मुख्यमंत्री के सामने भी आएगी विधायकों की एंटीइंकम्बेंसी?
राष्ट्रीय संगठन मंत्री वी सतीश और सतीश पूनिया की बैठक में सिरोही विधानसभा के हालातों के बारे में बताते भाजपा जिला मंत्री अशोक पुरोहित।
राष्ट्रीय संगठन मंत्री वी सतीश और सतीश पूनिया की बैठक में सिरोही विधानसभा के हालातों के बारे में बताते भाजपा जिला मंत्री अशोक पुरोहित।
राष्ट्रीय संगठन मंत्री वी सतीश और सतीश पूनिया की बैठक में सिरोही विधानसभा के हालातों के बारे में बताते भाजपा जिला मंत्री अशोक पुरोहित।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। यूं तो 10 अक्टूबर को सिरोही में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री वी सतीश और चुनाव समिति के सदस्य सतीश पूनिया चुनावी रणनीति, प्रचार-प्रसार और बूथ स्तरीय कार्यप्रणाली पर चर्चा के लिए आए थे। लेकिन, स्थानीय भाजपा नेताओं ने इसे अपने वर्तमान विधायकों की फीडबैक मीटिंग और टिकिट के लिए अपनी प्रमोशन मीटिंग ज्यादा बना दिया।

अब 15अक्टूबर को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे रणकपुर आ रही हैं। वह सिरोही विधानसभा की तीनों सीटों के दावेदारों की फीडबैक मीटिंग लेंगी। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि विधायकों की एंटीइंकम्बेंसी की चर्चा यहां भी होगी। 10 अक्टूबर की बैठक का लब्बोलुआब यह रहा कि अपेक्षित और उपेक्षितों को फिर से वांछित और अवांछित होने का अहसास करवाया गया।

इस अहसास से पिछले साढ़े चार सालों से पीड़ित जमीनी कार्यकर्ताओं ने बैठक स्थल के बाहर या बैठक के बाद में तीनों विधायकों व पार्टी पदाधिकारियों के खिलाफ भाजपा में ही चल रही एंटीइंकम्बेंसी से उन्हें अवगत करवा दिया। कई लोगों ने भाजपा के टिकिट के लिए अपनी दावेदारी भी ठोक दी। कार्यक्रम स्थल के बाहर और जिले के माहौल में कार्यकर्ताओं का जो दर्द था वो अरोपों में बाहर आया।

इनका आरोप था कि विधायकों ने ठेकेदारों को कार्यकर्ताओं से ज्यादा तरजीह दी और विचारधारा से जुडे कार्यकर्ताओं की अपेक्षा कर उन्हें हाशिये पर डाल दिया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह नजर आई कि 2013 में इन तीनों विधायकों के समर्थन और साथ में जो लोग थे वो इस बार इनके साथ नजर नहीं आए। हां, ये सब लोग गोयली चैराहे पर जरूर थे। सूत्रों के अनुसार बैठक में विधायकों के खिलाफ मिले फीडबैक पर बाद में दोनों पदाधिकारियों ने तीनों विधायकों से फोन पर उनका भी पक्ष जाना।

राष्ट्रीय संगठन मंत्री वी सतीश की बैठक में मौजूद सिरोही जिले के भाजपा पदाधिकारी जो कहीं ना कहीं किसी न किसी दावेदार के समर्थक भी रहे।
राष्ट्रीय संगठन मंत्री वी सतीश की बैठक में मौजूद सिरोही जिले के भाजपा पदाधिकारी जो कहीं ना कहीं किसी न किसी दावेदार के समर्थक भी रहे।

-सिरोही विधानसभा
सिरोही विधानसभा के पूर्व पदाधिकारियों व कार्यकर्ता वर्तमान विधायक के प्रति पूरी तरह बागी तेवर में दिखे। इसके लिए उन्होंने बैठक स्थल से पहले ही विरेन्द्रसिंह चैहान समेत अन्य नेताओं के नेतृत्व में गोयली चैराहे पर स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें रेवदर और पिण्डवाड़ा आबू के भी उपेक्षित पदाधिकारी व कार्यकर्ता शामिल हुए।

नवरात्रि स्थापना के कारण सिरोही विधायक ओटाराम देवासी इस बैठक में नजर नहीं आए और न ही उनके समर्थकों का कोई मजमा दिखा। उनकी अनुपस्थिति में विरोधी खेमे ने देवासी के प्रति अपनी नाराजगी का इजहार किया। इतना ही नहीं भाजपा जिला उपाध्यक्ष अशोक पुरोहित ने तो यह तक कह दिया कि यह चुनाव चुनौती है और विजय पाने के लिए कार्यकार्ताओं के प्रति जवाबदेही, प्रभावी और स्थानीय चयन की बात भी रखी।

ऐसे मे ंस्थानीय का मुद्दा इस बार हावी होने की संभावना है। जिला प्रमुख साथ ही थीं तो जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चैधरी समर्थकों ने इस मौके का लाभ उठाने की कोशिश की। यहां नारायण पुरोहित, अशोक पुरोहित, हेमंत पुरोहित, विक्रमसिंह रोड़ा, प्रधान प्रज्ञा कंवर, योगेन्द्र गोयल ने सिरोही विधानसभा क्षेत्र से अपनी दावेदारी प्रस्तुत की।

जैसा कि कयास लगाया जा रहा था महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष रक्षा भंडारी इस बार अपनी दावेदारी कर सकती हैं, वैसा कुछ नहीं हुआ। हां, महिला मोर्चा की शिवगंज की पदाधिकारी उषा गहलोत ने जरूर अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है।

वैसे हाल ही मे एक व्यक्ति द्वारा अपनी ही जाति के ओटाराम देवासी के हाथ जोडने की अपील का एक आॅडियो प्रसारित होने के बाद दूसरी जातियों में भी अपनी जाति के प्रति ध्रुवीकरण बढ़ा है, वहीं कामगार जातियों की लम्बे अर्से से कथित अवहेलना की एंटी इंकम्बेंसी भी सिरोही के विधायक झेल रहे हैं।

ओटाराम देवासी यहां से लगातार दो बार विधायक हैं, ऐसे में अपने भविष्य के प्रति आशंकित ओबीसी जातियों के दूसरे नेताओं में भी यह शंका जन्म ले चुकी है कि इस बार देवासी को टिकिट मिला तो यह सीट 2028 तक उनके लिए स्थायी रूप से आरक्षित हो जाएगी।

 राष्ट्रीय संगठन मंत्री वी सतीश की बैठक के दौरान अपने समर्थकों के साथ मौजूद रेवदर विधायक जगसीराम कोली।

राष्ट्रीय संगठन मंत्री वी सतीश की बैठक के दौरान अपने समर्थकों के साथ मौजूद रेवदर विधायक जगसीराम कोली।

-रेवदर विधानसभा
यहां के विधायक जगसीराम कोली अपने समर्थकों के साथ मौजूद थे तो विरोधी खेमा अपने समर्थकों के साथ। इस बार जगसीराम कोली का विरोध करते हुए दावेदारी करने वाले भी कोली जाति के ही हैं। रेवदर विधानसभा अनुसचित जाति के लिए आरक्षित है।

यहां कोली और मेघवाल जातियां ज्यादा हैं। इसके बाद चैधरी आते हैं। इस क्षेत्र में सांसद देवजी पटेल व जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चैधरी गुट की जगसीराम कोली से खींचतान जगजाहिर है। 10 अक्टूबर को यह दिखा भी। इस पहलू को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि कोली की खिलाफत करने वाले लोगों में कुछ लोग दूसरे धड़े के करीबी भी थे। कोली से नाराज लोगों ने भी विचारधारा से विमुखता तथा ठेकेदारों के प्रति निष्ठा का आरोप लगाया।

वी सतीश और सतीश पूनिया के सामने इस विधानसभा क्षेत्र से मगन कोली, रंजीत कोली, केसाराम कोली, लक्ष्मण कोली, दौलाराम कोली, प्रकाश मेघवाल, पारूल मेघवाल, आबूरोड क्षेत्र की मंजू कोली, आबूरोड पालिकाध्यक्ष सुरेश सिंदल, विजय गोठवाल, विष्णु मारू, अजय वाला, रेवदर प्रधान पुंजाराम मेघवाल, माउण्ट आबू के पालिकाध्यक्ष सुरेश थिंगर ने अपनी दावेदारी पेश की है।

वर्तमान विधायक जगसीराम कोली यहां से लगातार तीन बार भाजपा विधायक हैं, ऐसे में उन्हीं की जाति के दूसरे नेता भी अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं।
-पिण्डवाड़ा-आबू विधानसभा
यहां के विधायक समाराम गरासिया की कार्यप्रणाली पर तो माउण्ट आबू के मंडल ब्लाॅक अध्यक्ष ईश्वरचंद डागा ही बंद कमरे में सुनवाई के दौरान वी सतीश और सतीश पूनिया के सामने बोल पड़े। माउण्ट आबू के बिल्डिंग बायलाॅज के मामले में पार्टी की कथित भूमिका पर आगाह करते हुए उन्होंने साफ कह दिया था कि वहां का काम किए बिना वोट मिल जाने के किसी मुगालते में नहीं रहे पार्टी।

समाराम गरासिया की खिलाफत भी उनके ही समाज के नेताओं की ज्यादा झेलनी पड़ी। वहीं दूसरे वर्ग के लोग भी समाराम की प्रभावी काट करने वाले दावेदार के पक्ष में अपना मत प्रकट करने से नहीं चूके। ये विधानसभा गरासिया जनजाति बहुल है।

ऐसे में भाजपा से खफा भाजपाइयों ने यहां पर गरासिया जाति के ही ऐसे पढ़े-लिखे और सुलझे हुए युवाओं को आगे किया जो इनकी जाति के अलावा शेष जातियों में भी पैठ बना सके। इनमें सबसे प्रबल दावेदारी रतनलाल गरासिया और अर्जुन गरासिया की है। इनके अलावा दुर्गाराम गरासिया, धनाराम मीणा ने भी सिरोही में वी सतीश और सतीश पूनिया के समक्ष अपनी दावेदारी जताई है।