नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने अनारक्षित टिकटों को भी मोबाइल ऐप के माध्यम से खरीदने की सुविधा गुरुवार से शुरू कर दी है। कोई भी यात्री अपनी यात्रा आरंभ करने के स्टेशन के पांच किलोमीटर के दायरे से देश के किसी भी स्टेशन के लिए टिकट खरीद सकता है।
रेलवे बोर्ड के सदस्य (यातायात) गिरीश पिल्लै ने कहा कि अभी तक एक ज़ोन के अंदर ही काम करने वाले यूटीएस ऑन मोबाइल ऐप में अंतरज़ोन टिकट जारी करने की सुविधा आरंभ कर दी गयी है जो गुरुवार मध्यरात्रि से लागू हो चुकी है और शुरुआती आठ घंटों में करीब 4000 टिकट खरीदे जा चुके हैं।
इस ऐप से दिल्ली से पटना, चेन्नई से भोपाल, मुंंबई से भागलपुर आदि कहीं से कहीं के भी टिकट खरीदे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस ऐप से सीज़न टिकट भी खरीदे जा सकेंगे।
पिल्लै ने बताया कि एक यात्री एक बार में एक टिकट ले सकता है और उसमें अधिकतम चार लोगों के टिकट शामिल हो सकते हैं। इसका प्रयोग यात्रा आरंभ करने वाले स्टेशन के पांच किलोमीटर के दायरे में पहुंचने के बाद ही किया जा सकता है। इसके लिए स्मार्ट फोन होना जरूरी है जो जिओ पोजिशनिंग सिस्टम के आधार पर काम कर सके।
उन्होंने कहा कि मोबाइल ऐप से टिकट लेने वाले यात्री को डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग, भीम -यूपीआई, क्रेडिट कार्ड के अलावा रेलवे के विशेष भुगतान ऐप से भी भुगतान की सुविधा होगी। उन्होंने बताया कि रेलवे के भुगतान ऐप से भुगतान करने पर पांच प्रतिशत की छूट मिलेगी।
उन्होंने कहा कि ऐप से टिकट खरीदने पर कागज वाला टिकट या कागज रहित दोनों प्रकार के टिकट लिये जा सकेंगे। कागज़ रहित टिकट खरीदने के बाद उसे रद्द नहीं कराया जा सकेगा। इसके अलावा ऐप से एक मोबाइल पर खरीदे टिकट को दूसरे मोबाइल पर भेजने या ई-मेल पर प्राप्त करने की सुविधा नहीं होगी ताकि इस सुविधा का दुरुपयोग ना हो सके।
मोबाइल ऐप के बारे में एक सवाल के जवाब में पिल्लै ने कहा कि इस वर्ष जनवरी में मोबाइल ऐप से खरीदे गये टिकट से यात्रा करने वालों की संख्या 1.8 लाख प्रतिदिन थी जो सितंबर में 4.48 लाख और अक्टूबर में 4.75 लाख प्रतिदिन हो गई है। जबकि अक्टूबर में जारी होने वाले टिकटों की संख्या लगभग 83 हजार रही। अब अंतरज़ोन टिकट आरंभ होने के बाद इस संख्या में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।
एक अन्य सवाल पर उन्होंने बताया कि मोबाइल ऐप से अनारक्षित टिकट खरीदने वालों की संख्या दो प्रतिशत से कम हैं और राजस्व 0.5 प्रतिशत (करीब 50 करोड़ रुपए) है जबकि आरक्षित टिकटों के मामले में इस समय 68 प्रतिशत टिकट इंटरनेट पर बुक हो रहे हैं। इस पर राजस्व भी करीब 70 प्रतिशत उसी से आ रहा है।