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No evidence sex racket in SIT probe of girl child's house - बालिका गृह कांड की एसआईटी जांच में नहीं मिले सेक्स रैकेट चलाने के कोई सबूत - Sabguru News
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बालिका गृह कांड की एसआईटी जांच में नहीं मिले सेक्स रैकेट चलाने के कोई सबूत

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बालिका गृह कांड की एसआईटी जांच में नहीं मिले सेक्स रैकेट चलाने के कोई सबूत
No evidence sex racket in SIT probe of girl child's house
No evidence sex racket in SIT probe of girl child's house
No evidence sex racket in SIT probe of girl child’s house

देवरिया । उत्तर प्रदेश के देवरिया में गत पांच अगस्त को बालिका गृह कांड की एसआईटी की जांच में सेक्स रैकेट चलाने का कोई सबूत नहीं मिला है।

आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यहां बताया कि देवरिया बालिका गृह कांड की जांच कर रही एसआईटी को 89 दिन की विवेचना के बाद इस मामले में सेक्स रैकेट चलाने का कोई सबूत नहीं मिला है। एसआईटी ने शुक्रवार की देर शाम अपनी जांच रिपोर्ट का आरोप पत्र मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट तरन्नुम खान की अदालत में दाखिल किया। सूत्रों के अनुसार छेड़खानी सहित लैंगिग अपराधों का कोई साक्ष्य न मिलने पर मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश पीके शर्मा ने बालिका गृह कांड के जेल में बंद आरोपियों को रिमांड देने से इंकार कर दिया।

गौरतलब हो कि मां विध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा संचालित बाल गृह बालिका स्टेशन रोड में इसी साल पांच अगस्त की रात पुलिस ने छापेमारी कर 20 लड़़कियाें और तीन लड़कों को मुक्त कराया था। पुलिस एक बालिका के बयान के बाद बाल गृह बालिका से सेक्स रैकेट संचालित होने की बात कहते हुए संचालिका गिरिजा त्रिपाठी, मोहन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मामला हाईप्रोफाइल होने के चलते इसकी विवेचना सरकार ने एसआइटी को सौंप दी थी।

दस अगस्त से मामले की विवेचना कर रही एसआइटी टीम बारीकी से छानबीन की और साक्ष्य जुटाये। एसआइटी की शुरूआती जांच में ही सेक्स रैकेट की पुष्टि न होते देख राज्य सरकार ने तत्कालीन एसपी रोहन पी कनय, सीओ सिटी को हटा दिया जबकि कोतवाल, उप निरीक्षक को निलंबित कर दिया था। इसके बाद एसआइटी ने आरोपी गिरिजा त्रिपाठी, गिरिजा के पति मोहन त्रिपाठी और बेटी कंचनलता को रिमांड पर लेकर पूछताछ की थी।

एसआइटी में शामिल आइपीएस भारती सिंह, विवेचक बृजेश यादव अपनी टीम के साथ शुक्रवार को कचहरी पहुंचे और पास्को अदालत के जज पीके शर्मा के अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने तथा आरोपियों की रिमांड अवधी बढ़ाने के लिये अर्जी दी थी लेकिन आरोप पत्र में पास्को,छेड़खानी की धारा न होने पर न्यायाधीश पीके शर्मा ने जेल में बंद आरोपियों को रिमांड देने से इंकार कर दिया।