नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल 19 नवंबर को बोर्ड की अगली बैठक में इस्तीफा दे सकते हैं। ऑनलाइन वित्तीय प्रकाशन ‘मनीलाइफ’ ने सूत्रों के हवाले के कहा है कि यदि सरकार और आरबीआई के बीच टकराव और बढ़ा तो पटेल अगली बोर्ड की बैठक में इस्तीफा दे सकते हैं। पटेल और सरकार के बीच संघर्ष से उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ा है। आरबीआई गवर्नर ने संघर्ष के काफी प्रयास किए हैं।
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि पटेल के संपर्क में रहने वाले लोगों का कहना है कि पटेल ने सरकार से संघर्ष के काफी प्रयास किए हैं जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार सरकार पटेल की इस्तीफे की आशंका के बावजूद अपनी मांगों को मनवाने के लिए लेकर दबाव बनाए रखना चाहती है।
सरकार और आरबीआई के बीच कई मांगों को लेकर खींचतान चल रही है। इनमें वित्तीय घाटे को नियंत्रण में रखने के लिए केन्द्रीय बैंक रिजर्व राशि के बड़े हिस्से को सरकार को हस्तांतरित करना और बाजार में और तरलता लाना शामिल हैै।
सरकार और आरबीआई के बीच विवाद 26 अक्टूबर को केन्द्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के मुंबई में एडी श्रॉफ मेमोरियल व्याख्यान में खुलकर सामने आ गया। आचार्य ने अपने भाषण में कहा कि जो सरकार केन्द्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान नहीं करती उसे देर-सबेर वित्तीय बाजार के आक्रोश का सामना करना पड़ता है अौर बड़ी आर्थिक दुश्वारियां पेश आती हैं।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को सरकार द्वारा सावधानीपूर्वक विश्लेषण किये बिना केन्द्रीय बैंक के आपात रिजर्व को लेने के प्रति आगाह किया था। राजन ने एक समाचार चैनल के साथ साक्षात्कार में कहा था कि अारबीआई बोर्ड को केन्द्रीय बैंक के परिचालन संबंधी फैसलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और आरबीआई अधिनियम की धारा सात के तहत निर्देश जारी करना चिंताजनक होगा।