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Creation of Nature (Universe): Jagat pita brahma Ji temple at pushkar-पुष्कर तीर्थ : जगत पिता ब्रह्मा की उत्पति और सृष्टि सृजन - Sabguru News
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पुष्कर तीर्थ : जगत पिता ब्रह्मा की उत्पति और सृष्टि सृजन

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पुष्कर तीर्थ : जगत पिता ब्रह्मा की उत्पति और सृष्टि सृजन
Jagat pita brahma Ji temple at pushkar
Jagat pita brahma Ji temple at pushkar
Jagat pita brahma Ji temple at pushkar

सबगुरु न्यूज। धार्मिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान् विष्णु के नाभिकमल से चार मुख वाले ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए। ब्रह्मा जी ने भगवती शिवा की आराधना कर जगत की रचना करने का वरदान प्राप्त किया।

ब्रह्मा जी ने अपने सात मानस पुत्रों का सर्जन किया। मरीचि, अंगिरा, अत्रि, वशिष्ठ, पुलह, क्रतु, ओर पुलसतय। ब्रह्मा के रोष से रूद्र उनकी गोद से नारद व अंगूठे से दक्ष प्रजापति उत्पन्न हुए। बाएं अंगूठे से दक्ष पत्नि वारिणी का प्रादुर्भाव हुआ।

ब्रह्मा के मानस पुत्र मरीचि से कश्यप जी उत्पन्न हुए। दक्ष प्रजापति के साठ कन्याएं उत्पन्न हुई। दक्ष प्रजापति की तेरह कन्याएं कश्यप ऋषि की भार्याए हुई। इन तेरह भार्याओ से देवता, दैत्य, यक्ष, सर्प, पशु और पक्षी सब के सब उत्पन्न हुए। इस कारण यह सृष्टि काश्यपी कहलाती है। इस प्रकार ब्रह्मा जी ने जगत की रचना की ओर वे जगत पिता कहलाए।

पद्म पुराण की मान्यता के अनुसार तीर्थ राज पुष्कर की स्थापना ब्रह्मा जी ने की। कई पुराणों में भी तीर्थ पुष्कर की महिमा का बखान किया गया हैं। कार्तिक मास की शुक्ल एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक धार्मिक मेले का आयोजन किया जाता है।

पुष्करे दुष्करो वासः
पुष्करे दुष्करं तपः ।।
पुष्करे दुष्करं दानं
गन्तुं चैव सुदुष्करम ।।

पद्म पुराण मे कहा गया है कि पुष्कर मे निवास दुर्लभ है, पुष्कर मे तपस्या का सुयोग मिलना कठिन है। पुष्कर में दान देने का सौभाग्य भी मुश्किल से प्राप्त होता है तथा वहा की यात्रा का सुयोग भी दुर्लभ है ।

क्रोधहीन, सत्यवादी, दृढ़तापूर्वक उतम व्रत का पालन करने वाला तथा सम्पूर्ण प्राणियों में आत्म भाव रखने वाला है, उसे तीर्थ सेवन का फल प्राप्त होता है। यह ऋषियो का परम गोपनीय सिद्धांत है।

पद्म पुराण के अनुसार पुष्कर तीर्थ की लम्बाई ढाई योजन (दस कोस) और चोडाई आधा योजन (दो कोस) है। यही तीर्थ का परिमाण है। वहां जाने से राजसूय और अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है। जहां अत्यन्त पवित्र नदी सरस्वती ने ज्येष्ठ पुष्कर में प्रवेश किया है, वहां चैत्र शुक्ल चतुर्दशी को ब्रह्मा आदि देवताओं, ऋषियों, सिद्धों और चारणों का आगमन होता है, अतः उक्त तिथि को देवताओं ओर पितरों के पूजन में प्रवृत्त हो मनुष्यों को वहां स्नान करना चाहिए। जिससे वह अभय पद को प्राप्त कर सके और अपने कुल का भी उद्धार कर सके।

सूचना : पशु मेला शुरू 8 नवम्बर से शुरू हो चुका है, धार्मिक मेला 16 नवम्बर 2018 से आरंभ होगा जो 23 नवम्बर 2018 तक चलेगा।