कोलंबो। श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के संसद भंग करने के फैसले पर मंगलवार को रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नलिन परेरा की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने यह रोक लगाकर विपक्ष समेत विभिन्न वर्गाें को अंतरिम राहत प्रदान की।
इससे पहले तीनों न्यायाधीशों ने सोमवार और मंगलवार को विभिन्न राजनीतिक पार्टियों की अपीलों पर सुनवाई की तथा संसद भंग करने के आदेश पर रोक लगा दी। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए चार, पांच और छह दिसंबर की तिथियां निर्धारित की गई है।
राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने गत शुक्रवार को संसद भंग कर दी थी और संसदीय चुनाव के लिए पांच जनवरी की तारीख घोषित कर दी थी। दरअसल प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे को हटाकर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री बनाने के बाद देश में राजनीतिक उथल-पुथल शुरू हो गई थी जिसे खत्म करने के लिए सिरीसेना के पास कोई विकल्प शेष नहीं रह गया था।
सिरीसेना ने इसके तत्काल बाद कार्यवाहक सरकार के गठन का भी प्रयास किया जिसे विक्रमसिंघे की पार्टी ने पूरी तरह ‘गैर कानूनी’ ठहराया था। संसदीय चुनाव के लिए निर्धारित चुनाव से डेढ़ वर्ष पूर्व अचानक संसद भंग करने के फैसले ने सभी को चौंका दिया।
राष्ट्रपति सिरीसेना ने कहा कि संसद को भंग करने और तत्काल चुनाव कराने का उन्होंने इसलिए निर्णय लिया ताकि देश में विभिन्न स्थानों तथा सड़कों होने वाली हिंसा को रोका जा सके। एक सरकारी अधिसूचना के मुताबिक श्रीसेना ने 14 नवंबर तक संसद का सत्रावसान कर दिया था।