नई दिल्ली। बुद्धिमानी और स्मरण शक्ति के लिए प्रसिद्ध अौर सबसे भारी भरकम जानवर हाथी के ईलाज के लिए देश का पहला सुपर स्पेशलिटी अस्पताल चालू हो गया है जहां आधुनिक पद्धति से उनका उपचार किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में मथुरा के निकट फरह में एक गैर सरकारी संगठन ने केवल हाथियों के ईलाज के लिए इस अस्पताल का निर्माण किया है अौर करीब 12 हजार वर्ग फुट में बने इस अस्पताल में आधुनिक उपकरण लगाए गये हैं जहां तीन हाथियों का एक साथ उपचार किया जा सकता है। इसके लिए चार विशेषज्ञ चिकित्सक भी उपलब्ध हैं जो जरुरत होने पर 24 घंटे अपनी सेवा दे सकते हैं।
गैर सरकारी संगठन वाइल्ड लाईफ एसओएस के हाथी संरक्षण परियोजना के निदेशक बैजूराज ने बताया कि सामान्यत: हाथी 60 से 65 साल की उम्र तक जीवित रहता है जिस दौरान उसे कई प्रकार की बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है । पालतू हाथियों की देखरेख ताे होती रहती है लेकिन जंगली हाथियों को विपरीत परिस्थितियों के कारण पैर से संबंधित कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है ।
बैजूराज ने बताया कि हाथियों में पैर टूटने, नाखून उखड़ने, पैर में मोच आने, कील या शीशा चुभने तथा दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण ईलाज की जरुरत होती है। यह जानवर कई बार गठिया का भी शिकार हो जाता है या इसमें कैल्शियम की कमी हो जाती है। विशाल शरीर के कारण उसका उपचार करना मुश्किल होता है।
इसके लिए हाईड्रोलिक प्रणाली, र्थमल इमेंजिंग कैमरा, वासरलेस डिजिटल एक्स रे मशीन, लेजर उपचार अल्ट्रासोनोग्राफी, ट्रैंकूलाइजर इक्यूपमेंट आदि की जरुरत होती है। इनमें से कई उपकरणों की कीमत दस से 34 लाख रुपए के बीच है। इसके साथ ही यहां एक प्रयोगशाला भी है।