नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से द्विपक्षीय सीरीज रद्द करने के एवज़ में भारी भरकम मुआवज़े की मांग कर रहे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट संस्था से बुधवार को जोर का झटका लगा जिसने लंबी बहस और सुनवाई के बाद उसकी अपील खारिज कर दी।
आईसीसी की विवाद निस्तारण समिति ने बुधवार को पीसीबी की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उसने भारतीय बोर्ड से द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज़ रद्द करने के लिए करीब साढ़े चार सौ करोड़ रूपए के भारी भरकम मुआवजे की मांग की थी। वैश्विक संस्था ने साथ ही अपने फैसले में कहा कि यह फैसला बाध्य होगा और इसके खिलाफ अब आगे और अपील नहीं की जा सकेगी।
इंग्लैंड के वकील माइकल बेलोफ की अध्यक्षता वाले इस पैनल में जैन पॉलसन और एनाबेल बेनेट अन्य सदस्य थे जिन्होंने दुबई में 1 से 3 अक्टूबर तक इस मामले पर विस्तृत सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया है।
आईसीसी ने जारी बयान में कहा कि तीन दिनों तक चली सुनवाई और इस मामले पर लिखित दस्तावेजों और जुबानी बयानों को ध्यान में रखने के बाद विवाद निस्तारण समिति बीसीसीआई के खिलाफ पीसीबी के दावों को खारिज कर रहा है।
बीसीसीआई और पीसीबी ने वर्ष 2014 में आधिकारिक रूप से करार किया था जिसके तहत उनके बीच वर्ष 2015 से 2023 तक छह द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज खेली जानी थी। भारतीय बोर्ड ने आईसीसी में बिग थ्री राष्ट्रों (भारत, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड) के प्रशासनिक बदलावों में अहम भूमिका के करार के हक में मतदान के बदले पाकिस्तान से द्विपक्षीय सीरीज़ को लेकर इस करार पर सहमति जताई थी।
भारत और पाकिस्तान के बीच खराब संबंधों और सीमा पर तनाव के चलते हालांकि राजनीतिक दबाव के कारण बीसीसीअाई ने पीसीबी के साथ द्विपक्षीय सीरीज से इंकार कर दिया। इसके बाद पाकिस्तानी बोर्ड ने करार का हवाला देते हुए अपनी मेजबानी में नवंबर 2014 और दिसंबर 2015 में होने वाली दो सीरीज़ के रद्द होने के चलते उसे हुए नुकसान के लिए करीब 6.3 करोड़ डॉलर के मुआवजे की मांग की थी और ऐसा नहीं करने पर आईसीसी में बीसीसीअाई के खिलाफ अपील कर दी।
बीसीसीआई ने मुख्य रूप से राजनीतिक कारणों का हवाला देते हुये पाकिस्तान के साथ खेलने से इंकार कर दिया। वर्ष 2008 में मुंबई पर हुए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले के बाद से दोनों देशों के संबंधों में खटास बढ़ गई है।
दोनों क्रिकेट बोर्डों के बीच नये वित्तीय मॉडल के तहत एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। हालांकि एमओयू में स्पष्ट किया गया था कि यदि वर्ष 2014 में आईसीसी के वार्षिक सम्मेलन में इस प्रस्ताव को पास नहीं किया गया तब यह मान्य नहीं होगा।
आईसीसी के सुनवाई पैनल ने माना कि बीसीसीआई और पीसीबी के बीच हुये एमआेयू में द्विपक्षीय सीरीज़ कराने के लिए सरकार से एनओसी लेने जैसे किसी नियम का जिक्र नहीं है लेकिन पाकिस्तानी बोर्ड की ओर से जो ईमेल भारतीय बोर्ड से साझा किए गए हैं उनमें इसका जिक्र किया गया है।
पैनल ने अपने आखिरी फैसले में कहा कि सुनवाई समिति मानती है कि पीसीबी को भी इस बात का पता था कि बीसीसीआई तभी कोई द्विपक्षीय सीरीज करा सकता है जब उसे भारत सरकार से इसे लेकर अनुमति मिले। पीसीबी ने जो ईमेल बीसीसीआई को भेजें हैं उसमें इस बात का जिक्र भी किया गया है तथा पीसीबी की बोर्ड बैठक के मिनट में भी इस बात का उल्लेख है।