अजमेर। विधानसभा चुनावों में प्रमुख राजनीतिक दलों के अलावा बडी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशी भी उतरें हैं। सभी अपने अपने तरीके से मतदाताओं के वोट हासिल करने की कवायद में हैं। मतदाताओं से लुभावने वादों का सिलसिला परवान चढ चुका है। लेकिन वोटर्स की चुप्पी प्रत्याशियों का चैन हराम किए हुए है। मतदाताओं को NOTA का अधिकर मिल जाने के बाद से एक नई बहस छिड गई है कि इससे हासिल क्या होगा। एक प्रत्याशी ने बाकायदा अपील जारी कर अपने विचार कुछ इस तरह तरह मतदाताओं तक पहुंचाने की कोशिश की है।
निर्दलीय प्रत्याशी संदीप तंवर की गुजारिश प्लीज NOTA न दबाएं
NOTA बटन दबाकर आपको क्या हासिल होगा। क्या इससे कोई बदलाव ला सकेंगे। NOTA तो राजनीतिक पार्टियों का ही एक शगुफा है। वो यही तो चाहती है कि वोटों का बंटवारा सिर्फ हमारे बीच हो। सिस्टम के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले युवा वर्ग का ध्यान डायवर्ट करने करने के लिए राजनीतिक पार्टियों ने NOTA जैसा फार्मूला ढूंढ निकाला और हमें थमा दिया। साथियों NOTA रूपी झुनझुने को बजाकर कुछ नहीं होगा। अब समय सीधे चुनौती देने का है।
राजनीतिक पार्टियों की दगाबाजी और अयोग्य प्रत्याशियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले संदीप तंवर को वोट करने को NOTA ही मानें। ईवीएम पर संदीप तंवर के नाम के आगे चुनाव चिन्ह अलमारी का बटन दबाकर अपने दिल की इच्छा पूरी करें। संदीप आज भी आपके साथ है और चुनाव के बाद भी साथ नहीं छूटेगा।
मित्रों, माताओं और बहनों, युवा साथियों प्लीज!!! सभी से हाथ जोडकर प्रार्थना है कि इस नासूर बन चुके सिस्टम से लडने के लिए NOTA रूपी निर्जीव बटन की जगह चुनाव चिन्ह अलमारी का बटन दबाएं, क्योंकि NOTA दबाने से आपको कुछ हासिल नहीं होगा। बदलाव के लिए किसी को तो पहले करनी थी, सो कर दी, बस अब आपका समर्थन और वोट NOTA की जगह संदीप को मिलेगा तो निसंदेह यह पहल रंग लाएगी। जुगनू सी टिमटिमाती इस रोशनी को अब प्रकाश का आभामंडल बनाना आपके कीमती वोट पर निर्भर करेगा।
NOTA के बारे कुछ खास जानकारी
अगर आपको कोई उम्मीदवार पसंद न हो और आप उनमें से किसी को भी अपना वोट देना नहीं चाहते हैं तो फिर आप क्या करेंगे। साल 2015 से नोटा पूरे देश मे लागू हुआ। निर्वाचन आयोग ने ईवीएम मशीन में इनमें से कोई नहीं का भी बटन दबा सकते हैं। यानी आपको इनमें से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है। ईवीम मशीन में NONE OF THE ABOVE यानी NOTA का बटन होता है। नोटा के मत गिने तो जाते हैं पर इन्हें रद्द मतों की श्रेणी में रखा जाएगा। इसका चुनाव के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।