हनुमानगढ। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वह जब भी किसानों की दयनीय हालत और उनका कर्जा माफ करने की बात करते हैं तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुप रहते हैं और उन्हें घूरते रहते हैं।
गांधी ने शनिवार को हनुमानगढ़ में चुनावी रैली को सम्बोधित करते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी ने न जाने कैसी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बनाई है, जिसमें पैसा किसानों का लगता है, नुकसान भी किसानों का ही होता है और फायदा अनिल अम्बानी जैसे उद्योगपतियों की बीमा कम्पनियों को होता है। गांधी ने कहा कि उन्होंने किसानों का कर्जा माफ करने की बात प्रधानमंत्री के कार्यालय में जाकर उनके सामने रखी तो वह चुप रह गए और उन्हें सिर्फ घूरते रहे।
गांधी ने कहा कि पीएम मोदी ने अलग अलग राज्यों में अलग अलग तरह की फसल बीमा योजनाएं लागू की हैं जिसमें फसल का नुकसान हो जाने पर किसानों को कोई फायदा नहीं होता बल्कि बीमा करने वाली कम्पनी फायदा बटोर ले जाती है।
उन्होंने फिर ऐलान किया कि राजस्थान में अगर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्तारूढ़ होती हैए तो दस दिन में किसानों का कर्जा माफ कर दिया जाएगा। यह ऐलान वे मध्यप्रदेश व दूसरे राज्यों में भी कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की सरकार सिर्फ 15 गिने चुने बड़े उद्योगपतियों का ही फायदा कर रही हैं। उनका साढ़े तीन लाख करोड़ का कर्जा माफ कर दिया लेकिन एक गरीब किसान दुकानदार और व्यापारी का कर्जा माफ नहीं किया। गांधी ने कहा कि किसान अपना पसीना बहाकर देश को भोजन उपलब्ध करवाता है। कर्जमाफी उनके लिए तोहफा नहीं, बल्कि उनका हक है।
देश प्रदेश में बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकारें युवाओं के लिए लगातार रोजगार के अवसर खत्म करती जा रही हैं। देश में 24 घंटों में सिर्फ 450 लोगों को ही रोजगार मिलता हैए जबकि चीन में इसके मुकाबले कई गुणा अधिक लोगों को रोजगार मुहैया करवाया जाता है।
तीन चार दिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की एक चुनावी रैली के वायरल हुए वीडियो के संदर्भ में राहुल गांधी ने कहा राजस्थान की जनता अब सीधे मुख्यमंत्री से सवाल करने लगी है कि उनकी सरकार ने आखिर युवाओं के लिए किया क्या है चुनावी रैली में जब एक महिला ने सीएम राजे से पूछा कि उसके बेटे को रोजगार नौकरी क्यों नहीं मिली, सीएम चुप होकर रह गई।
गांधी ने कहा ऐसे कोई सवाल सीधे प्रधानमंत्री से नहीं कर सकता। अगर कोई ऐसा सवाल करे तो उसे पुलिस पकड़ लेगी। नोटबंदी और जीएसटी पर केन्द्र सरकार को घेरते हुए राहुल गांधी ने अपना चिर परिचित बयान दिया कि नोटबंदी के दौरान लाखों लोग बैंकों के सामने लाइन में लगे, लेकिन कहीं भी अनिल अम्बानी, नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे धनाढ्य लोग दिखाई नहीं दिए। ललित मोदी ने सीएम राजे के बेटे को दस करोड़ दिए थे, वह भी कहीं लाइन में नहीं दिखा।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी लागू कर पीएम मोदी ने गरीबों की जमापूंजी छीन ली, जो उन्होंने गाढ़े खून पसीने और ईमानदारी की कमाई थी। जीएसटी पर कटाक्ष करते हुए राहुल गांधी ने अब इस सरकार के पास सिर्फ पिस्तौल निकालना बाकी रह गया अन्यथा जनता को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जीएसटी के जरिये छोटे एवं मध्यम श्रेणी के दुकानदारों और व्यापारियों को इस सरकार ने मार ही डाला है।
अगर कोई विरोध करता है तो सरकार उन्हें दबाने कुचलने में जुट जाती हैं। इस देश को मन की बात कहने वाला प्रधानमंत्री नहीं बल्कि लोगों के मन की बात जानने और सुनने वाला प्रधानमंत्री चाहिए। कांग्रेस अगर सत्ता में आई तो वह किसानों छोटे दुकानदारों और व्यापारियों युवाओं मजदूरों सबके मन की बात सुनेगी। उनकी बातें सुनकर ही सरकार उनके लिए काम करेंगी। हम अपने मन की बात नहीं करेंगे।