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Microfinance industry clocked 51 percent in second quarter - दूसरी तिमाही में माइक्रोफाइनेंस उद्योग का कारोबार 51 प्रतिशत बढ़ा - Sabguru News
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दूसरी तिमाही में माइक्रोफाइनेंस उद्योग का कारोबार 51 प्रतिशत बढ़ा

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दूसरी तिमाही में माइक्रोफाइनेंस उद्योग का कारोबार 51 प्रतिशत बढ़ा
Microfinance industry clocked 51 percent in second quarter
Microfinance industry clocked 51 percent in second quarter
Microfinance industry clocked 51 percent in second quarter

नयी दिल्ली । छोटे ऋण देने वाली कंपनियों यानी माइक्राेफाइनेंस उद्योग का कारोबार एक साल पहले की तुलना में 51 प्रतिशत तथा ऐसे ऋण खातों की संख्या 27 प्रतिशत बढ़ी है।

माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमएफआईएन) द्वारा आज यहाँ जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल 30 सितंबर की तुलना में इस साल 30 सितंबर तक माइक्रोफाइनेंस उद्योग द्वारा दिया गया कुल ऋण 51 फीसदी बढ़कर 1,46,741 करोड़ रुपये पर पहुँच गया। इस दौरान ऋण खातों की संख्या 7.77 करोड़ पर पहुँच गयी जो एक साल पहले की तुलना में 27 प्रतिशत ज्यादा है।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी की श्रेणी में पंजीकृत माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (एनबीएफसी-एमएफआई) द्वारा दिया गया कुल ऋण भी एक साल में 50 प्रतिशत बढ़कर 54,018 करोड़ रुपये हो गया। एनबीएफसी-एमएफआई के ऋण खातों की संख्या 32.9 फीसदी की वृद्धि के साथ 30 सितंबर 2018 को 3.43 करोड़ हो गयी। इससे पता चलते है कि प्रति खाता अब ग्राहकों को ज्यादा ऋण दिया जा रहा है।

पिछले एक साल में माइक्रोफाइनेंस उद्योग पर जोखिम में पड़े ऋण का दबाव कम हुआ है। तीस दिन से ज्यादा से नहीं चुकाये गये ऋण यानी पोर्टफोलियो एट रिस्क समग्र उद्योग के लिए घटकर 0.99 प्रतिशत रह गया है। वहीं एनबीएफसी-एमएफआई के मामले में यह आँकड़ा 30 सितंबर 2017 के 2.87 प्रतिशत से घटकर 1.01 प्रतिशत पर आ गया है।

एफएफआईएन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हर्ष श्रीवास्तव ने पिछली तिमाही की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा “ऋण खातों की गुणवत्ता में पिछले एक साल में अच्छा सुधार हुआ है। यह उद्योग के लिए काफी उत्साहजनक संकेत है। साथ ही एनबीएफसी-एमएफआई समेत पूरे उद्योग में ऋण उठाव भी तेजी से बढ़ा है। हमें उम्मीद है कि आने वाली तिमाहियों में भी यह गति बनी रहेगी।”

छोटे ऋण कारोबार में 30 सितंबर 2018 को एनबीएफसी-एमएफआई की हिस्सेदारी 37 फीसदी, बैंकों की 33 फीसदी, लघु वित्त बैंकों की 17 फीसदी, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की 12 फीसदी और गैर-लाभकारी लघु ऋण संस्थानों की एक फीसदी रही।