नयी दिल्ली । देश में कारोबार को सुगम बनाने के प्रयासों के तहत लोकसभा में गुरुवार को कंपनी संशोधन विधेयक पेश किया गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के बीच कंपनी (संशोधन) विधेयक, 2018 सदन में पेश किया, जो कंपनी संशोधन अध्यादेश, 2018 का स्थान लेगा।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गत दो नवम्बर को संबंधित अध्यादेश पर हस्ताक्षर किया था। इस विधेयक के तहत विशेष न्यायालयों का बोझ कम करने के प्रयास किये गये हैं और इसके तहत 16 धाराओं में संशोधन प्रस्तावित है। विधेयक के माध्यम से इन धाराओं में उपबंधित सजा के प्रावधान में कुछ बदलाव करके आर्थिक दंड के प्रावधान किये गये हैं।
इससे यह अपेक्षा की जा रही है कि विशेष न्यायालयों पर इस समय सुनवाई का जो बोझ है, वह काफी घट जायेगा और वे अधिक गंभीर कॉरपोरेट अपराधों की सुनवाई पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकेंगे। संशोधन के जरिये छोटी कंपनियों और एक व्यक्ति वाली कंपनियों पर लगाये जाने वाले दंड को सामान्य कंपनियों की तुलना में आधा किये जाने का प्रस्ताव है।
विधेयक में राष्ट्रीय कम्पनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) के कार्यभार को कम करने का प्रावधान किया गया है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अब क्षेत्रीय निदेशक के दंडात्मक क्षेत्राधिकार को बढ़ाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त विधेयक केंद्र सरकार को यह शक्ति दिये जाने का प्रावधान है कि यदि कोई कम्पनी वित्तीय वर्ष में बदलाव चाह रही है तो इस पर वह अपनी स्वीकृति दे सकती है, साथ ही वह किसी कम्पनी को सार्वजनिक कम्पनी से निजी कम्पनी में परिवर्तित करने की मंजूरी दे सकती है।
विधेयक में इस बात के भी प्रावधान किये गये हैं कि यदि कोई कंपनी इस अधिनियम के उपबंधों के तहत कारोबार नहीं कर रही है तो कंपनी रजिस्ट्रार को यह अधिकार होगा कि वह पंजी से उस कंपनी का नाम हटा दे।