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पीने की कसम डाल दी…

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पीने की कसम डाल दी…

सबगुरु न्यूज। पौष मास की रातें शुरू हो गईं और हेमन्त ऋतु का सूर्य धनु राशि में बलवान होने के बाद भी ठंडा पड रहा था। रात का चांद अपनी मस्ती में मस्त होकर ठंड का लुत्फ़ उठा रहा था और ऐसे चले जा रहा था मानो उसे इसका ज्ञान नहीं है कि यह ऋतु ठंड की है।

झिलमिलाते तारों ने चांद से पूछा कि इस कड़कड़ाती ठंड में भी अपनी उसी तेज रफ्तार से चल रहे हो। आखिर कारण क्या है? चांद बोला हमने पीने की कसम खा रखी है इसलिए पी रहे हैं और मस्त होकर चल रहे हैं। यह कहते कहते वह आगे बढा।

कुछ ग्रहों ने भी चांद से पूछा तो भी चांद ने फिर वही जबाब दिया। चांद को सफ़र करते करते सुबह होने लगी, सुबह की ऊषा बोली हे भाई चांद अब तुम आराम करो ओर अब हमें पीने दो क्योंकि हमने भी पीने की कसम खा रखी है।

आकाश के इस खेल को देखकर एक संत मुसकुरा गए और धुना चेतन कर वे भी पीने की कसम खा कर धुना तपते रहे, दिन रात पीते रहे और अपनी मस्ती में मस्त होकर वे सिद्ध हो गए।

पौष की रात थी संत का धूना चेतन था वहां पर एक राहगीर आया और संत को प्रणाम किया तथा वह भी धूने के सामने बैठ गया। थोड़ी देर बाद राहगीर बोला बाबा धूना तप रहे हैं तो संत कहने लगे बेटा ये तो मेरा जीव ही जानता है। मैने तो पीने की कसम खा रखी है इसलिए दिन रात पीता हूं और मस्ती में मस्त रहता हूं। राहगीर बोला बाबा आप क्या पीते हो। संत बोले हम राम के नाम का प्याला पीते रहते हैं और यही हमारे गुरु ने पीने की कसम डाल रखी है।

थोड़ी देर बाद राहगीर चला गया। कुछ दिन बाद उस राहगीर के घरवाले उस धूने के पास आए और संत से लडने लगे कि आपने हमारे बेटे को गलत शौक में डाल दिया वह दिन रात पीता ही रहता है और कुछ भी नहीं करता। संत बोले ठीक है उसे सब कुछ मिल जाएगा। घरवाले बोले बाबा उसके फेफड़े गल जाएंगे और कई बीमारियों से उसे फिर जूझना पडेगा। संत बोले उसके फेफड़ों का शुद्धीकरण हो जाएगा और कोई भी बीमारी उसके पास नहीं आएंगी क्योंकि उसका आत्मबल बढ जाएगा। घरवाले संत से लडने लगे कि आप गलत शौक में डाल कर भी अपनी बात कहे जा रहे हो।

इतने में विवाद बढ गया और वह राहगीर भी संत के धूने पर आ गया। वहां का माजरा देख वह राहगीर अपने घर वालों के सामने बोला बाबा मुझे तो मजा आ रहा है और मेरे घर वाले यूं ही परेशान हो रहे हैं। घर वाले बोले संत हमारा कर्जा बढता जा रहा है ओर ये रम की बोतल पीये जा रहा है।

संत समझ गए और बोले कि हे राहगीर मैंने तो पीने की कसम खा रखी है राम नाम की और तुम रम पिये जा रहे हो। मूर्ख मैने तो राम का नाम पीने की कसम तुझे डाली थी। राहगीर बोला बाबा रात को सोने के बाद में उठा तो राम भूल गया ओर रम ही याद रह गई।

संतजन कहते हैं कि हे मानव, ये समझ के ही फेर होते हैं कि कोई गलतफहमी में पडकर अपने जीवन की राह बदल लेता है और उन मार्गों की ओर बढ जाता है जहां सिवा खुद की ओर अपनों की ही तबाही होती हैं।

इसलिए हे मानव तू अपने शरीर में बैठी आत्मा जो प्राण वायु रूपी ऊर्जा है वह लगातार एक धुन सुनाए जा रही है और मन को समझाए जा रही है कि तू गफलत में होकर जीवन को बर्बाद मत कर। तुझे में राम नाम पीने की कसम डाल रही हो ओर तो ना जाने क्या क्या अहंकारी प्याले पी रहा है ओर अपने ही शरीर के साम्राज्य को दूषित कर रहा है।

इसलिए हे मानव, तू उस अदृश्य शक्ति के परमात्मा के नाम का प्याला पी और पोष मास की रातों को गर्म कर क्योंकि पोष मास की रातें शरीर रूपी साम्राज्य को जमा देती है और शनैः शनैः पतझड़ करतीं हुईं साम्राज्य को ढहा देती है।

सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर