मेलबोर्न। आलराउंडर रवींद्र जडेजा पूरी तरह फिट नहीं थे, इसके बावजूद उन्हें टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया ले जाया गया और ऑस्ट्रेलिया पहुंचने के चार दिन बाद उन्हें इंजेक्शन दिए गए।
दो टेस्टों तक यह बात बिलकुल दबी हुई थी और इस सन्दर्भ में टीम प्रबंधन की तरफ से एक भी शब्द नहीं कहा गया था लेकिन पर्थ में दूसरे टेस्ट में टीम इंडिया की हार और इस मैच में जडेजा को बाहर रखने को लेकर उठी आलोचना के बाद खुद कोच रवि शास्त्री ने यह खुलासा किया है कि जडेजा पूरी तरह फिट नहीं थे।
शास्त्री ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में जडेजा को लेकर ये बातें कहीं जिससे उनके और कप्तान विराट कोहली के बयानों में साफ़ विरोधाभास नजर आ रहा है।
पर्थ टेस्ट की हार के बाद टीम चयन को लेकर हो रही आलोचनाओं से घिरे शास्त्री प्रेस कॉन्फ्रेंस में वह बात उगल गए जिसे टीम प्रबंधन ने अब तक दबा कर रखा था। पर्थ टेस्ट में सभी ने जडेजा को बाहर रखने पर सवाल खड़े किए थे और यह मामला एक बड़ा मुद्दा बन गया था क्योंकि इस मैच ऑस्ट्रेलिया के ऑफ स्पिनर नाथन लियोन सात विकेट लेकर मैन ऑफ द मैच बने थे।
पर्थ टेस्ट की हार के बाद विराट ने जडेजा को बाहर रखने के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि पिच को देखकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा कि यहां पर जडेजा को अंतिम एकादश में रखना चाहिए था।
लेकिन अब शास्त्री कहते हैं कि जडेजा के कंधे में उसी समय से जकड़न थी जब वह रणजी ट्रॉफी खेल रहे थे और ऑस्ट्रेलिया पहुंचने के चार दिन बाद उन्हें इंजेक्शन दिए गए थे। कोच ने कहा कि जड्डू के साथ समस्या यह थी कि कंधे में जकड़न के कारण उन्हें ऑस्ट्रेलिया आने के चार दिन बाद इंजेक्शन दिए गए थे और इंजेक्शन का पूरा असर होने में कुछ समय लगता है।
कोच ने साथ ही कहा कि यदि आप पर्थ टेस्ट की बात करें तो जडेजा 70-80 प्रतिशत फिट थे और हम उन्हें पर्थ में खेलाने का जोखिम नहीं उठाना चाहते थे। यदि वह मेलबोर्न में 80 फीसदी भी फिट रहते हैं तो हम उन्हें खेला सकते हैं। इस तमाम मुद्दे पर हमारा यह जवाब है।
यह भी दिलचस्प है कि जडेजा पूरी तरह फिट नहीं थे लेकिन उन्हें दूसरे टेस्ट की 13 सदस्यीय टीम में शामिल किया गया था और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की दोनों पारियों में क्षेत्ररक्षण भी किया था जिससे टीम प्रबंधन के दावों पर ही सवाल उठ रहे हैं।