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Communication trick to attract anyone by Heartfulness Institute ajmer-हार्टफुलनेस संस्थान के तत्वावधान में सीखी संवाद कला - Sabguru News
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हार्टफुलनेस संस्थान के तत्वावधान में सीखी संवाद कला

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हार्टफुलनेस संस्थान के तत्वावधान में सीखी संवाद कला

अजमेर। हार्टफुलनेस संस्थान के द्वारा रविवार को शास्त्री नगर स्थित सामुदायिक केन्द्र में मन के रास्ते दिल को जीतने की संवाद कला विषयक सेमिनार का आयोजन किया गया।

सेमिनार के मुख्य वक्ता जवाहर लाल नेहरू मेडिकल काॅलेज के एसोशिएट प्रोफेसर डाॅ. विकास सक्सेना थे। डाॅ. सक्सेना ने सेमीनार में कहा कि प्रत्येक व्यक्ति उत्तम वक्ता हो सकता है। उसे बस अपनेे में हल्का सा निखार लाना होता है।

सार्वजनिक रूप बोलने पर व्यक्ति की आत्म छवि कमजोर हो जाती है। इसे अभ्यास के माध्यम से सशक्त किया जा सकता है। सेमिनार में इसे सशक्त करने की सैद्धान्तिक और प्रायोगिक जानकारी प्रदान की गई।

उन्होंने कहा कि वक्ता बनने की प्रक्रिया में व्यक्ति अपने हृदय के उद्गारों को अभिव्यक्त करता है। यह अभिव्यक्ति की कला सीखकर कोई भी सफल वक्ता बन सकता है। विचारोें के सम्प्रेषण में शाब्दिक और अशाब्दिक भावाभिव्यक्ति की बराबर भूमिका रहती है। इसमें लगभग 55 प्रतिशत कार्य केवल भावभंगिमा के माध्यम से सम्पादित किए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि शाब्दिक सम्प्रेषण का 38 प्रतिशत कार्य वक्ता के द्वारा अपनाए गए स्वर के उतार-चढ़ाव से किया जा सकता है। वक्ता को स्पष्ट स्वर में नियंत्रित आवाज में अपनी बात रखनी चाहिए।

शिष्ट और ऊर्जावान शब्दों का चयन कर श्रोताओं के दिलों तक वार्ता का विषय पहुंचाया जा सकता है। श्रोता वर्ग के स्तर और आवश्यकता के अनुसार शब्दों और वाक्य विन्यास करना उपयोगी होता है।

डाॅ. सक्सेना ने कहा कि वक्ता के द्वारा मंच पर की गई गतिविधियों का श्रोता लगातार मूल्यांकन करता है। इस सेमिनार का उद्देश्य वक्ता के मन से मूल्यांकन का डर निकालकर उसे करिश्माई वक्ता बनाना था।

श्रोता के साथ दिमाग के स्थान पर दिल से जुड़ना आवश्यक होता है। इसके लिए श्रोता के साथ समानुभुति होनी चाहिए। वक्ता सहृदय होकर श्रोताओं से मुखातिब होने पर उन्हें अपने साथ जोड़ने में कामयाब हो जाता हैै। वक्ता को श्रोताओं पर हुए प्रभाव का अध्ययन भी करना चाहिए।

हार्टफुलनेस के अजमेर केन्द्र प्रभारी शैलेष गोड़ ने बताया कि यह सेमिनार व्यक्तित्व को उच्च स्तर तक पहुंचाने के लिए आयोजित की गई थी। इसमें अजमेर के साथ-साथ लालाजी मेमारियल ओमेगा इन्टरनेशनल स्कुल चैन्नई की प्रशिक्षिका मनीषा, नागौर जिले के प्रशिक्षक त्रिलोक बन्धु, मसुदा के प्रशिक्षक हरिओम, अमिन्दर कौर मैक, इन्जीनियर अंकुर, तिलक गहलोत सहित विविध क्षेत्रों में कार्यरत प्रतिभागियों ने भी भाग लिया।