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Savitribai Phule birth anniversary celebrations in ajmerअजमेर : धूमधाम से मनाई सावित्रीबाई फुले की 188वीं जयंती - Sabguru News
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अजमेर : धूमधाम से मनाई सावित्रीबाई फुले की 188वीं जयंती

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अजमेर : धूमधाम से मनाई सावित्रीबाई फुले की 188वीं जयंती

अजमेर। भारत की प्रथम महिला शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले की 188वीं जयंती गुरुवार को धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर माली समाज की विभिन्न संस्थाओं की ओर से कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

ज्योतिबाफुले सर्किल पर सावित्री बाई फुले राष्ट्रीय जागृति मंच की ओर से सुबह 9:30 बजे माता सावित्री बाई फुले के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया गया। समाज सुधार और भारत में स्त्री शिक्षा के प्रसार में उनकी भूमिका को लेकर गणमानयजनों ने अपने विचार व्यक्त किए।

दोपहर 12 बजे बडगांव स्थित बाल प्रकाश विद्यालय आश्रम में निराश्रित बच्चों को भोजन प्रसादी कराई गई। बच्चों के बीच खेल कूद का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर आयोजित विचार गोष्टी में बडी संख्या में समाजबंधुओं ने शिरकत की।

वक्ताओं ने सावित्रीबाई फुले के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कविता की अग्रदूत रही माता सावित्रीबाई फुले ने स्त्रियों के अधिकारों, शिक्षा छुआछूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह तथा विधवा-विवाह के विरुद्ध संघर्ष किया।

1848 में पुणे में प्रथम बालिका विद्यालय की स्थापना की और प्रधानाध्यापिका बनीं। हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। सावित्रीबाई फुले राष्ट्रीय जागृति मंच की जिलाध्यक्ष सुनीता चौहान ने सभी का आभार व्यक्त किया।

इससे पहले सुबह फुले सर्किल पर आयोजित जयंती कार्यक्रम में राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी शिरकत कर माता सावित्रीबाई फुले के योगदान को याद किेया। इस अवसर पर सुभाष गहलोत, महेश चौहान, पूनमचंद मारोठिया, नवीन कच्छावा, पार्षद बीना टाक, हेमराज सिसोदिया, माखनलाल मारोठिया, राजेश सांखला, मुरली मनोहर सांखला, जितेंद्र मारोठिया, चेतन सैनी, विजयलक्ष्मी सिसोदिया, उर्मिला मारोठिया, ममता चौहान, बालमुंकद टांक, दिलीप गढवाल, अनिस मारोठिया, राजू सांखला, गायत्री सांखला, वीर सिंह चौहान, दुर्विका सिसोदिया, रमेश सतरावला, संदीप तंवर, रोमा कछावा, धर्मेन्द्र चौहान, प्रदीप कछावा, भानुप्रताप कछावा, टीकम टांक, राजेन्द्र मौर्य, राजेश भाटी, ज्योति प्रकाश भाटी, संतोष मौर्य, घीसूलाल गढवाल, शारदा मालाकार, नवीन कछावा, मेवालाल जादम, सुमन भाटी समेत बडी संख्या में माली समाज के लोग तथा गणमान्यजन मौजूद रहे।


मां सावित्री बाई फुले संस्थान ने मनाई जयंती

इसी तरह मां सावित्री बाई फुले संस्थान की ओर से तोपदडा स्थित पटेल नगर गढवाल पैलेस में तृतीय महिला अधिकारी एवं बुजूर्ग महिला सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस मौके पर खेलकूद प्रतियोगिता और मनोरंजक गतिविधियों में सभी ने बढ चढकर शिरकत की।

सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय

सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था।

सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिबा को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है।

ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।

सामाजिक मुश्किलें

वे स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 160 साल पहले बालिकाओं के लिए जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था कितनी सामाजिक मुश्किलों से खोला गया होगा

सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिए उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फैंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुंच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।