नई दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को दोहराया कि मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की अनुमति नहीं है और ई-कॉमर्स की मार्केटप्लेस कंपनी किसी भी विक्रेता को अपने प्लेटफॉर्म पर विशेष बिक्री की अनुमति नहीं देगी।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने यहां औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग का स्पष्टीकरण जारी किया और कहा कि केवल थोक कारोबार में ई-कॉमर्स (बी 2 बी ) में एफडीआई की अनुमति है और कंपनी से उपभोक्ता (बी 2 सी) कारोबार में ई-कॉमर्स में एफडीआई पूरी तरह प्रतिबंधित है।
मंत्रालय ने कहा है कि 26 दिसंबर को जारी की गई विज्ञप्ति में एफडीआई नीति के प्रावधानों को केवल दोहराया गया है, जिससे सही अर्थों में इसका बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।
एफडीआई प्रावधानों के अनुसार मार्केटप्लेस उपलब्ध कराने वाली ई-कॉमर्स कम्पनी प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं अथवा सेवाओं की कीमतों को प्रभावित नहीं करेगी। लेकिन इसके बावजूद सरकार को लगातार ऐसी शिकायतें मिलती रहीं थी कि कुछ मार्केटप्लेस से जुड़े प्लेटफॉर्म उत्पादों की कीमतों को प्रभावित करते हुए नीति का उल्लंघन कर रहे हैं और वे अप्रत्यक्ष रूप से थोक कारोबार में शामिल हैं।
थोक कारोबार से संबंधित कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म एफडीआई नीति का उल्लंघन कर रहे थे जिसके कारण नयी विज्ञप्ति जारी करने की जरूरत महसूस की गई थी।
मंत्रालय के अनुसार मौजूदा एफडीआई नीति में उत्पादों की प्रकृति पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में जारी विज्ञप्ति केवल ऐसी कम्पनियों के लिए लागू है, जो ई-कॉमर्स के लिए मार्केटप्लेस का संचालन करती हैं।