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DMK against reservation High Court on behalf of the upper castes - सवर्णों को आरक्षण के खिलाफ द्रमुक पहुंची हाईकोर्ट - Sabguru News
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सवर्णों को आरक्षण के खिलाफ द्रमुक पहुंची हाईकोर्ट

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सवर्णों को आरक्षण के खिलाफ द्रमुक पहुंची हाईकोर्ट
DMK against reservation High Court on behalf of the upper castes
DMK against reservation High Court on behalf of the upper castes
DMK against reservation High Court on behalf of the upper castes

चेन्नई । तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल द्रमुक ने शुक्रवार को गरीब सवर्णों को सरकारी नाैकरियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है।

द्रमुक ने अपनी याचिका में न्यायालय से अपील की है कि आरक्षण देने के लिये हाल ही में किये गये संविधान संशोधन पर अंतरिम तौर पर रोक लगाये। यह याचिका द्रमुक के संगठन सचिव आर.एस. भारती की ओर से पार्टी के वकील पी. विल्सन ने दाखिल की है। याचिका पर सोमवार को न्यायमूर्ति मणिकुमार और न्यायमूर्ति सुब्रहमण्यम प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई होने की उम्मीद है।

याचिका में द्रमुक ने कहा है कि आरक्षण ‘गरीबी हटाओ’ कार्यक्रम नहीं है और सदियों से शिक्षा या रोजगार हासिल न कर पाने वाले समुदायों के उत्थान के लिये आरक्षण दिया जाता है। सदियों से शिक्षा और रोजगार पाने में विफल रहे समुदायों को बराबरी हासिल करने देने के लिये आरक्षण जरूरी है।

द्रमुक के संगठन सचिव ने याचिका में कहा है कि हालांकि आर्थिक स्थिति की शर्त आर्थिक रूप से मजबूत पिछड़ी जातियों को आरक्षण न देने के लिये रखी गयी है। उन्होंने कहा है कि ऐसे में आर्थिक स्थिति बराबरी के नियम के लिए एक मात्र शर्त नहीं है और आर्थिक आधार पर आरक्षण संविधान की मूल भावना को ठेस पहुंचाता है। याचिका में भारती ने कहा है कि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा भी संविधान की मूल भावना के अनुरूप है और उच्चतम न्यायालय ने कई मामलों में यह बात बार-बार कही भी है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि तमिलनाडु में पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को 1993 के शिक्षण संस्थानों और राज्य सरकार की नौकरियों की सीटों के आरक्षण कानून के तहत 69 फीसदी आरक्षण मिल रहा है। इस कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में भी रखा गया है। ऐसे में तमिलनाडु में इस सीमा से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

याचिका में द्रमुक के संगठन सचिव की ओर से कहा गया है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने जो संविधान संशोधन कराया है उससे राज्य में 79 फीसदी आरक्षण हो जायेगा और यह असंवैधानिक है। उन्होंने ऐसे में अदालत से संविधान में किये गये 103वें संशोधन के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित करने अपील की है।