नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने सेना को बुधवार को निर्देश दिया कि वह अपने बच्चे की देखभाल करने के लिए क्रेच की अनुपलब्धता को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाने वाली महिला सैन्य अधिकारी को प्रताड़ित न करे।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) माधवी दीवान से कहा कि यह सुनिश्चित किया जाये कि अदालत का दरवाजा खटखटाने के कारण ले. कर्नल अन्नू डोगरा प्रताड़ित न हों। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “महिला अधिकारी ने केवल अपना अधिकार हासिल करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।”
एएसजी ने शीर्ष अदालत को अवगत कराया कि ले. कर्नल डोगरा नागपुर के निकट काम्पटी में तैनात हैं और वहां से महज कुछ किलोमीटर पर एक क्रेच की व्यवस्था की गयी है, जहां वह अपने शिशु को रखकर अपनी ड्यूटी निभा सकती हैं।
एएसजी ने यह भी कहा कि क्रेच की उपलब्धता होने के कारण ले. कर्नल डोगरा के पति को जोधपुर से नागपुर तबादले की आवश्यकता नहीं है। महिला सैन्य अधिकारी के पति जोधपुर में डिप्टी जज एडवोकेट जनरल के पद पर तैनात हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ऐश्वर्य भाटी ने, हालांकि आशंका जतायी कि उनकी मुवक्किल को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए निशाना बनाया जा सकता है। इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने सेना से कहा कि वह यह सुनिश्चित करे कि ले. कर्नल डोगरा प्रताड़ित न हों। इसके बाद न्यायालय ने मामले का निपटारा कर दिया।