नयी दिल्ली । सत्तरवें गणतंत्र दिवस के मौके पर शनिवार को राजपथ पर सामरिक शौर्य, सुरक्षा, सभ्यता और संस्कृति का अद्भुत संगम तथा विभिन्न लोक कलाओं का अनूठा नजारा देखने को मिला। इस बार की झांकियां राष्ट्रपति महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को समर्पित रहीं।
राजपथ पर सबसे पहले सिक्किम की झांकी निकली, जिसमें बापू की कल्पनाओं एवं दृष्टिकोण के अनुरूप राज्य में होने वाली शत-प्रतिशत जैविक खेती को दर्शाया गया। इसे लोगों ने काफी सराहा और कलाकारों की हौसला अफजाई के लिए तालियां बजाई।
महाराष्ट्र की झांकी में महात्मा गांधी द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ चलाये गये भारत छोड़ो आंदोलन की झलक दिखायी गयी, इससे लोगों के दिमाग में देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियां ताजी हो गयीं और लोगों ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में उठ खड़े हुए और तालियां बजाकर उनके प्रति आदर प्रकट किया।
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की झांकी में बापू द्वारा वहां के सेलुलर जेल में कैदियों के साथ बिताये गए लमहों को दिखाया गया। इस दौरान लोग शांत होकर गांधी जी की कैदियों को दी जाने वाली प्रेरणा सुनी और इस उनके सम्मान में तालियां बजायीं।
असम की झांकी में कुटीर उद्योग के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के सपनों के साथ बुनकरों को प्रोत्साहित करने के लिए बापू के चलाये गये राष्ट्रीय आंदोलनों को दर्शाया गया, जिसे असम के लोगों ने काफी ध्यान से देखा और उनके सम्मान में तालियां बजायीं।
त्रिपुरा की झांकी में गांधी जी के सिद्धांतों पर आधारित समतावादी और एथनिक संस्कृतियों को दर्शाया गया, जिसे लोगों ने काफी सराहा। गोवा की झांकी में गांधी जी के सिद्धांत ‘सर्व धर्म सम्भाव’ का अनुसरण करने वाले अहिंसापूर्ण-सह-अस्तित्व की दीर्घकालीन परंपरा को दर्शाया गया, इस दौरान दर्शकों ने खड़े होकर बापू के सम्मान में तालियां बजायीं।
सूर्योदय की धरती अरुणाचल प्रदेश की झांकी में गांधी के मूल मंत्र स्वच्छता पर आधारित स्वच्छ मोंपा गांव की शांतिपूर्ण सांस्कृतिक जीवन को दिखाया गया, जिसे देखकर लोग काफी प्रभावित हुए और आपस में सफाई की बात करते हुए दिखाई दिये।
पंजाब की झांकी में 13 अप्रैल 1919 में घटित हुई जालियांवाला बाग के उस हृदय विदारक घटना को दर्शाया गया, जिसमें ब्रिगेडियर जनरल रेजीनल्ड एडवर्ड हैरी डायर की अगुवाई में ब्रिटिश सेना ने आजादी के मतवालों पर गोलियां बरसायी थीं। इस दौरान दर्शक अंग्रेजों की क्रूरता की निंदा और इस घटना में शहीद हुए देश के सपूतों को सलाम करते हुए दिखायी दिये।
तमिलनाडु की झांकी में किसानों की दशा को देखकर महात्मा गांधी के पहनावे में आये बदलाव को दिखाया गया। 21 सितंबर 1921 में तमिलनाडु के मदुरै दौरे पर गये बापू किसानों की दुर्दशा को बहुत दुखी हुए थे। उन्होंने देखा कि किसानों के पास तन ढकने के लिए कपड़े नहीं है। उनके बदन पर पुराने, फटे तथा नाममात्र के कपड़े थे। इसको देखकर बापू ने बदन को ढकने के लिए सिर्फ धोती पहने का फैसला ले लिया। इस दौरान लोगों ने बापू के सम्मान में तालियां बजायीं।
राजपथ पर दिखा सामरिक शौर्य एवं विभिन्न कलाओं का दिखा अनूठा नजारा गुजरात की झांकी में राष्ट्रपिता महात्मा के गांधी की बाल्य अवस्था, सरदार पटेल से साथ बिताये गये लमहों और उनकी डांडी यात्रा को दिखाया गया, जिसे दर्शकों ने शांतिपूर्वक देखा और राष्ट्रपिता के सम्मान में तालियां बजायीं।
जम्मू-कश्मीर की झांकी में बापू के 1947 में राज्य के दौरे और शांति स्थापित करने की कोशिशों को दर्शाया गया, जिसकी लोगों ने काफी सराहना की। इसी तरह कर्नाटक की झांकी में 1924 में कर्नाटक के बेलगावी में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन को दिखाया गया, जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी।
देवभूमि उत्तराखंड की झांकी में ‘अनासक्ति आश्रम’ को दर्शाया गया। बापू 1929 में इस आश्रम में गये थे। इस दौरान उत्तराखंड के लोगों ने खड़े होकर तालियां बजायीं।
दिल्ली सरकार की झांकी में राष्ट्रपिता के बिरला हाउस में बिताये गए दिनों का दिखाया गया। वह 1915 से 1948 के बीच 80 बार दिल्ली आए थे और इस दौरान बिरला हाउस में 720 दिन बिताये थे। इस झांकी के प्रदर्शन के दौरान लोग नाथूराम गोडसे द्वारा महात्मा गांधी की हत्या और उनके द्वारा देश की आजादी के लिए किये गये योगदान की चर्चा करते सुनाई दिये।
उत्तर प्रदेश की झांकी में महात्मा गांधी के बनारस और काशी विद्यापीठ के ऐतिहासिक दौरे और शिक्षा के महत्व को दर्शाया गया।
राज्यों की झांकियों में सबसे अंत में पश्चिम बंगाल की झांकी दिखाई गयी, जिसमें देश की आजादी की लड़ाई के आखिरी वर्षों में गांधी जी के कलकत्ता (अब कोलकाता) प्रवास और राष्ट्र कवि रवीन्द्र नाथ टैगोर के साथ उनके संबंधों को दिखाया गया। इस दौरान रवीन्द्र नाथ टैगोर के लिखे ‘गीत एकला चलो रे’….को बजाया जा रहा था।
मंत्रालयों की झांकियां भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को समर्पित रही, जिसके ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में विद्युतीकरण, पेयजल स्वच्छता, कृषि और दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी के ट्रेनों में किये गये सफर और रंगभेद के खिलाफ उनकी मुहिम को दर्शाया गया।
राज्य और मंत्रालयों की झांकियों के बाद बारी आयी लोक नृत्य की, जिसमें स्कूली छात्रों ने बापू के सिद्धांतों और कल्पनाओं पर आधारित गीतों पर नृत्य करके लोगों का मनमोह लिया और लाेग खड़े होकर बच्चों की हौसला अाफजाई में तालियां बजाते नजर आये।
इसके बाद मोटर साइकिल पर सवार सेना के जवानों के हैरतअंगेज करनामे देखने को मिले, जिसे देखकर लोगों ने दांतों तले उंगलियां दबा ली। लोगों भारतीय सेना के जवानों के कारनामों को देखने के लिए अपनी सीटों से उठकर खड़े हो गए। इस दौरान सुरक्षाकर्मी बार-बार लोगों से अपनी सीटों पर बैठने की गुजारिश करते दिखे। सेना के जांबाजों का उत्साह वर्धन करते नजर आए। सबसे अधिक तालियां इसी दौरान बजीं।
मोटरसाइकिल सवार जवानों के बाद भारतीय वायु सेना के जवानों ने आसमान में करतब दिखाने शुरू किये, जिसे देखकर बच्चे काफी रोेमांचित हुए और लोगों ने खड़े होकर जवानों के सम्मान में तालियां बजायी और सेना के जांबाजों ने आसमान से पुष्प वर्षाकर लोगों का धन्यवाद किया। इस दौरान लोग इस अद्भुत दृश्य को अपने मोबाइल फोन के कैमरों में भी कैद करते हुए नजर आए।
इस बार की परेड में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक थी। वह पुरुषों से अधिक उत्साहित और गणतंत्र दिवस समारोह के हर रंग और क्षण को अपने मोबाइल फोन के कैमरों में कैद करती हुई नजर आयीं।