अलवर। अलवर जिले के किशनगढ़ बास कस्बे में शनिवार को आयोजित उपखंड स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह में अधिकारियों की बेरुखी से परेशान शहीद की विधवा ने सम्मान लेने से इन्कार कर दिया।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के खेल मैदान में आयोजित समारोह में एक शहीद की पत्नी मीना देवी यादव को सम्मानित करने के लिए मंच पर बुलाया गया तो उसने मंच पर आकर सम्मान लेने से इन्कार कर दिया और बिलखते हुए कहा कि यहां वीरांगनाओं का सम्मान तो किया जाता है, लेकिन जब वीरांगनाओं की समस्याएं नहीं सुनी जातीं तो ऐसे सम्मान लेने से क्या फायदा?
उसने समारोह में मौजूद अधिकारियों और अन्य लोगों के सामने कहा कि देशभक्ति क्या होती है, यह मुझसे पूछो। देश सेवा के लिए पति के शहीद होने पर भी मैंने बेटी को देश सेवा के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में भेजा है। उसने कहा कि शहीद का दर्द तुम्हें क्या पता जो उनका सम्मान करोगे। जब पुलिस अधिकारी उसकी सुरक्षा ही नहीं कर सकते तो मुझे ये सम्मान देने से क्या फायदा।
उसने बताया कि गांव में वह अकेली अपनी सास के साथ रहती है। गांव में झगड़ा हुआ था। वे लोग हमें मारने की धमकी देते हैं। इस संबंध में वह कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के कई चक्कर लगा चुकी है, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। उसकी जान को हमेशा खतरा बना रहता है। उसने बताया कि शहीदों की विधवाओं को पेंशन भी पूरी नहीं मिल रही है।
बाद में उसने पत्रकारों को बताया कि पति के शहीद होने के बावजूद उन्होंने अपनी पुत्री चेतना को बीएसएफ में भेजा। अब उसकी बेटी भी पिता की तरह देश की सेवा कर रही है। वह अपने पिता की शहादत से प्रेरणा लेकर बीएसएफ में गई। उसकी भी तमन्ना यही है कि वो अपने पिता के सपनों को पूरा करे। उनके पति राजेश यादव वर्ष 1998 में जम्मू कश्मीर में उग्रवादियों से लोहा लेते शहीद हो गए थे।