जौनपुर । उत्तर प्रदेश के जौनपुर में सोमवार को देश की आज़ादी की लड़ाई के महान क्रांतिकारी एवं बलिदान की प्रतिमूर्ति पंजाब केसरी लाला लाजपत राय की 154वीं जयंती मनायी गयी।
हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी व लक्ष्मीबाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक पर पहुंचकर सुबह पंजाब केसरी लाला लाजपत राय की तस्वीर के सामने मोमबत्ती एवं अगरबत्ती जलाकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम लाला राधा कृष्ण अग्रवाल था ये पेशे से अध्यापक और उर्दू के लेखक थे।
ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर ने कहा कि लाला लाजपत राय ने वकालत की पढ़ाई पूरी कर हिसार तथा लाहौर में वकालत शुरू की। वे देश मे स्वावलम्बन से स्वराज लाना चाहते थे। देश में 1899 में आये अकाल में उन्होंने पीड़ितों की तन मन और धन से सेवा की।
उन्होने कहा कि लाला लाजपत राय ने अपना सर्वोच्च बलिदान उस समय दिया जब साइमन कमीशन भारत आया था। 30 अक्टूबर 1928 को इंग्लैंड के प्रसिद्ध वकील सर जान साइमन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय आयोग लाहौर आया और उसके सभी सदस्य अंग्रेज थे। उस समय पूरे भारत मे साइमन कमीशन का विरोध हो रहा था। लालाजी ने साइमन कमीशन का विरोध करते हुए नारा दिया। उन्होंने साइमन कमीशन वापस जाओ का नारा दिया। इसके जबाब में अंग्रेजो ने लालाजी पर जमकर लाठी चार्ज किया। इसके जबाब में लालाजी ने कहा था कि मेरे शरीर पर लगी एक.एक लाठी अंग्रेजी साम्राज्य के लिए कफ़न साबित होगी।
कौर ने कहा कि लालाजी ने उस समय अंग्रेजी साम्राज्य के ताबूत के कील के रूप में उधम सिंह और भगत सिंह को तैयार कर दिया था। देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ते लड़ते 17 नवम्बर 1928 को लालाजी इस संसार को छोड़कर चले गए। लालाजी के देहांत के बाद उनके उपर कातिलाना हमला करने वाले अधिक समय तक जिंदा नही रह सके। देश के महान क्रांतिकारी राजगुरु ने 17 दिसम्बर 1928 को अंग्रेज पुलिस अफसर सांडर्स को मार डाला था।
जौनपुर जिले के सरावां गांव में स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी व लक्ष्मीबाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने महान स्वतंत्रता सेनानी एवं बलिदान की प्रतिमूर्ति लाला लाजपत राय का 154 वाँ जन्मदिन मनाया। इन मौके पर डॉक्टर धरम सिंह, अनिरुद्ध सिंह समेत कई वरिष्ठ नागरिक मौजूद थे।