नयी दिल्ली । छोटे खुदरा कारोबारियों के संगठन अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) नीति का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए बुधवार को कहा कि घरेलू ई. कॉमर्स कंपनियों को इन नियमों के दायरे में लाया जाना चाहिए।
परिसंघ ने केद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु को भेेजे एक पत्र में आरोप लगाया कि ई. काॅमर्स कंपनियों ने पिछले दो वर्ष के दौरान खुदरा कारोबार में एफडीआई नीति का उल्लंघन किया है, जिसकी जांच किये जाने की जरुरत है।
पत्र में इसकी जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित करने की मांग करते हुए कहा गया है कि दोषी कंपनियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके अलावा नीति को समुचित रूप से लागू करने के लिए एक नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाना चाहिए। पत्र में घरेलू ई कॉमर्स कंपनियों को ऐसे नियमों के दायरे में लाने की मांग की है।
परिसंघ के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि ई. कॉमर्स पर एफडीआई नीति के प्रावधान लागू करने की तारीख एक फरवरी को आगे बढ़ाया या स्थगित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार इस तिथि को आगे बढ़ाती है तो उसे इसके राजनीतिक परिणाम भुगतने के लिये तैयार रहना चाहिए।
परिसंघ ने आगाह करते हुए कहा है कि सरकार को देश के सात करोड़ करोबारियों का विरोध झेलना होगा और व्यापारी आंदोलन के लिये मजबूर होगा। खबरों के अनुसार कुछ बड़ी ई कॉमर्स कंपनियों ने कहा है कि उन्हें नीति को समझने का कुछ और वक़्त चाहिए इसलिये इसे प्रभावी करने की अंतिम तिथि को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
व्यापारियों का आरोप है कि देश का 42 लाख करोड़ रुपए का खुदरा कारोबार लगभग ३० करोड़ लोगों को रोजगार देता हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियां इस कारोबार पर कब्जा करने के लिये एफडीआई प्रावधानों की धज्जियां उड़ाती रही है। व्यापारियों का आरोप है कि ये कंपनियां गत दो वर्षों से पालिसी का उल्लंघन कर रही है और उनका सारा व्यापार केवल अनैतिक व्यापारिक नीतियों पर टिका है।
खंडेलवाल ने कहा कि यह नीति वर्ष 2016 से लागू है और ‘प्रेस नोट 2’ केवल मात्र स्पष्टीकरण है। यदि ये कंपनियां दो वर्षों में भी नीति नहीं समझ पायी है तो उन्हें अपना व्यापार बंद कर देना चाहिए।