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Haryana : Jind assembly by-election results 2019-जींद में खिला ‘कमल', भाजपा के कृष्ण मिडढा 13 हजार मतों से चुनाव जीते - Sabguru News
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जींद में खिला ‘कमल’, भाजपा के कृष्ण मिडढा 13 हजार मतों से चुनाव जीते

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जींद में खिला ‘कमल’, भाजपा के कृष्ण मिडढा 13 हजार मतों से चुनाव जीते

जींद। भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा की जींद विधानसभा सीट का उपचुनाव जीत कर न केवल राज्य में नया इतिहास रचा बल्कि इंडियन नेशनल लोकदल से यह सीट छीन कर अपनी झोली में भी डाल ली।

स्थानीय अर्जुन स्टेडियम में आज यहां हुई 13 दौर की मतगणना में भाजपा के कृष्ण मिडढा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी जननायक जनता पार्टी प्रत्याशी दिग्विजय सिंह चौटाला को 12935 मतों के अंतर से शिकस्त दी। मिडढा को 50566 तथा चौटाला को 37631 मत मिले। भाजपा के लिये राज्य विधानसभा चुनावों के इतिहास में जींद में यह पहली जीत है।

कांग्रेस के दिग्गज रणदीप सिंह सुरजेवाला को 22740 मतों के साथ तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। भाजपा के बागी सांसद राज कुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी प्रत्याशी विनोद आशरी 13582 और इनेलो के उमेद सिंह रेडू 3454 मत हासिल कर क्रमश: चौथे और पांचवे स्थान पर रहे।

भाजपा की राज्य में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेत़त्व वाली सरकार ने हाल ही में पांच स्थानीय निकायों के महापौर पदों पर भारी जीत दर्ज कर चौंका दिया था और जींद विधानसभा उपचुनाव अब उसकी लोकप्रियता की परीक्षा की तरह था और इसमें भी उसने विपक्ष को चारों खाने चित कर यह सीट अपनी झोली में डाल ली।

पार्टी अपने गत चार साल में बिना किसी क्षेत्रवाद और भेदभाव के किए गए एक समान विकास कार्यों के आधार पर चुनाव में उतरी थी और उसका दावा था कि जनता उसके काम को अवश्य पहचानेगी।

उधर, कांग्रेस ने कैथल से मौजूदा विधायक सुरजेवाला जैसे अपने दिग्गज नेता को चुनाव में उतार कर इस सीट को जीतने का दांव चला लेकिन उसका यह फैसला जींद की जनता के गले नहीं उतरा और उसने वोट की ताकत से इसे नकार दिया।

सुरजेवाला अगर यह चुनाव जीतते तो उन्हें राज्य के भावी मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में देखा जा रहा था लेकिन इस करारी शिकस्त के बाद प्रदेश की राजनीति में जहां उनकी पकड़ कमजोर होगी वहीं कांग्रेस के लिए भी यह हार कोई शुभ संकेत नहीं है जो हाल ही में देश के तीन राज्यों के बाद हरियाणा में भी अपनी जीत दोहराने का ख्वाब देख रही है।

जजपा और लोसुपा का यह पहला चुनाव था जिसमें इन्होंने अच्छे वोट बटोर कर राज्य की राजनीति में स्वयं को स्थापित करने का प्रयास किया है। सबसे ज्यादा फजीहत इस चुनाव में इनेलो की हुई है और उसके प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई। इससे पार्टी के भविष्य पर भी सवालिया निशान लग गया है जबकि उससे टूट कर अस्तित्व में आई जजपा को लोगों से अच्छा समर्थन मिला और वह चुनाव में दूसरे नम्बर पर रही।

यूं तो यह केवल एक विधानसभा सीट का उपचुनाव था लेकिन राज्य में निकट भविष्य में होने वाले लोकसभा और इस वर्ष अक्तूबर में होने वाले विधानसभा चुनावें के दृष्टिगत से काफी अहम माना जा रहा था जिसे जीतने के लिये सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने जी तोड़ मेहनत की लेकिन भाजपा ने इसमें बाजी मारते हुये यह साबित कर दिया कि वह विपक्ष के तमाम दावों के विपरीत राज्य में और मजबूत हुई है।