सोनीपत। हरियाणा में सोनीपत की एक स्थानीय अदालत ने सामूहिक दुष्कर्म मामले की सुनवाई के दौरान अपने बयान बदलने वाली छात्रा को तीन साल कैद की सजा गुरुवार को सुनाई।
एसीजेएम निशांत शर्मा की अदालत ने मामले में सुनवाई के बाद छात्रा को दोषी करार दिया है। अदालत ने छात्रा को तीन साल कैद और पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न देेने पर छात्रा को छह माह अतिरिक्त कैद की सजा भुगतनी होगी।
पुलिस के अनुसार सोनीपत में एक विश्वविद्यालय की एलएलबी (पांच वर्षीय पाठ्यक्रम) की प्रथम वर्ष की छात्रा का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया था। दिल्ली की रहने वाली छात्रा ने 18 मई, 2012 को दर्ज हुए मुकदमे में पुलिस को बताया था कि वह छात्रावास में रहती है।
गत 16 मई, 2012 की दोपहर वह विभागाध्यक्ष से अनुमति लेकर विश्वविद्यालय के गेट के बाहर पुस्तक लेने के लिए आई थी। इसी दौरान स्कार्पियो में तीन युवक उसे जबरन उठा ले गए थे। युवक छात्रा को खेतों में सुनसान स्थान पर ले गए जहां उनका चौथा साथी भी मौजूद था। वहां पर चारों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। बाद में युवक उसे कार से विश्वविद्यालय के बाहर छोड़ कर फरार हो गए थे।
इस मामले में सोनीपत जिला के गांव खानपुर कलां के चार युवकों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया था। जिसमें बाद में तत्कालीन एडीजे मनीषा बत्रा की अदालत में सुनवाई हुई थी। अदालत में सुनवाई के बाद छात्रा ने अपने पहले दर्ज कराए 164 के बयान से अलग बयान दिया था। उसने आरोपियों को पहचाने से इंकार कर दिया था।
छात्रा के बयान बदलने के बाद एडीजे मनीषा बत्रा की अदालत ने छात्रा के खिलाफ धारा 193 के तहत एसीजेएम अदालत में मामले के तहत सुनवाई के लिए भेजा था। जिस पर 30 मई, 2013 से इस मामले की सुनवाई एसीजेएम की अदालत में चल रही थी।
इसबीच सरकारी अधिवक्ता पवन अत्री ने कहा कि एसीजेएम की अदालत से फैसले से न्यायपालिका में लोगों का विश्वास बढ़ेगा। इस तरह के फैसलों से कोई अदालत में बयान बदलने से पहले सोचने पर मजबूर होगा। इससे लोगों के बीच अच्छा संदेश जाएगा।