अजमेर। अजमेर में शास्त्रीनगर स्थित पार्क संख्या तीन में चल रही श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार को कथा वाचक ज्ञान देव महराज श्रीजी ने धुंधकारी का प्रसंग सुनाया। जीवन भर धुंधकारी ने पाप कर्म ही किया और पाप कर्म करते करते उसकी अकाल मृत्यु हो गई। मृत्यु होने के बाद वह प्रेत योनि ने चला गया। तब गोकर्ण जी ने उसके निमित्त भागवत कथा की और उसकी मुक्ति हो गई।
इसके बाद महाभारत की कथा श्रवण कराई। कुंती मईया को जीवन भर कष्ट रहा, लेकिन जब सुख का समय आया तो उन्होंने भगवान से दुख ही मांगा क्योंकि भगवान की याद हमेशा दुख में आती हैं, सुख में तो भगवान को हम भूल जाते है। यदि हम सुख में भगवान को याद करे तो हमारे जीवन मे दुख नहीं आएगा।
दुख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोय
यदि सुख में सुमरिन करो तो दुख काहे को होय।
डॉ एसडी मिश्रा ने बताया की कथा के दौरान मुझे मिल गया नन्द किशोर, मुझे जाना नहीं कही और पर भक्तजन झूम उठे। कथा में अशोक शर्मा, ओमप्रकाश मंगल, विष्णु गर्ग, संजय मंगल, रघुवीर शरण शर्मा, ओमप्रकाश पारीक, केएल सोलंकी, राधा रानी सक्सेना, निर्मला पारीक, शीला मिश्रा, ममता गर्ग, मधु शर्मा आदि ने बढ चढकर भाग लिया। कथा का आयोजन प्रतिदिन दोपहर 2 से 5 बजे तक रहेगा।