नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16वीं लोकसभा में अपने अंतिम भाषण में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों से गिले-शिकवे भुलाने की अपील करते हुए मिच्छामि दुक्कडम् के साथ माफी मांगी।
अंतिम सत्र की अंतिम बैठक में बुधवार को मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और सत्ता पक्ष तथा विपक्ष के सभी सदस्यों को धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने मिच्छामि दुक्कडम् कहते हुए सदन के सभी सदस्यों से कहा-सुनी के लिए माफी मांगी।
उन्होंने कहा कि कई बार तीखी नोंक-झोंक भी हुई। कभी इधर से हुई, कभी उधर से हुई। कभी कुछ ऐसे शब्दों का भी प्रयोग हुआ होगा जो नहीं होना चाहिए – इस सदन में किसी भी सदस्य के द्वारा, जरूरी नहीं कि इस इस तरफ से; उस तरफ से भी। सदन के नेता के रूप में जरूर मिच्छामि दुक्कडम् कहूंगा।
उन्होंने सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे की लंबे समय तक सदन में बैठने और पूरी चर्चा को ध्यान से सुनने की क्षमता की तारीफ भी की और कहा कि यह साधारण बात नहीं है। मैं आदरपूर्वक उनका अभिनंदन करता हूं। साथ ही उन्होंने खडगे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें अपने भाषण के लिए खाद पानी कांग्रेस नेता के भाषण से ही मिलता था।
इस भाषण के दौरान उन्होंने विपक्ष पर जमकर निशाना भी साधा। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भूकंप के कथन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हम कभी-कभी सुनते थे कि भूकंप आएगा। पांच साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है और कोई भूकंप नहीं आया।
राफेल विमान सौदे पर भी परोक्ष रूप से हमला करते हुए उन्होंने कहा कि कभी हवाई जहाज भी उड़े। बड़े-बड़े लोगों ने हवाई जहाज उड़ाए। लेकिन, हमारे लोकतंत्र और लोकसभा की मर्यादा इतनी ऊंची है कि भूकंप को पचा गया और कोई हवाई जहाज उसकी ऊंचाई को छू नहीं पाया।
मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के व्यवहार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यहां आने के बाद पहली बार पता चला कि गले मिलना और गले पड़ने में क्या अंतर होता है। पहली बार पता चला कि आंखों से गुस्ताखियां होती हैं, आंखों से गुस्ताखियों वाला खेल पहली बार देखने को मिला।
उन्होंने तृणमूल और तेलुगुदेशम् पार्टी के सांसदों के व्यवहार पर भी कटाक्ष किया। तृणमूल के बारे में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब के दौरान ऐसा अट्टहास मुझे सुनने को मिलता था इस सदन में… इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री वाले को इस तरह के अट्टहास की जरूरत है। यूट्यूब से इतना इस्तेमाल करने की अनुमति दे देनी चाहिए।
विरोध प्रदर्शन के लिए सदन में कभी नारद तो कभी भगवान शंकर, कभी धोबी तो कभी किसी और भेष में आने वाले तेदेपा सांसद एन. शिवप्रसाद पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नारामल्लि शिवप्रसाद क्या अदभुत वेश-भूषा में आते थे। सारा टेंशन उनके अटेंशन में बदल जाता था।