नयी दिल्ली । देश में घुटने और कुल्हे के दर्द के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिसके कारण हर साल अस्पतालों में 30 प्रतिशत अधिक ऑपरेशन अधिक हो रहे हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) में हड्डी विभाग के प्रोफेसर डॉ चंद्रशेखर यादव ने यहां वह बात कही है। वह पिछले कई वर्षों से मरीजों के घुटने और कुल्हे बदलने की शल्य चिकित्सा कर रहे हैं। एम्स ने घुटने बदलवाने की शल्य चिकित्सा पर शनिवार से दो दिन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार एवं प्रशिक्षण आयोजित किया है जिसमें देश-विदेश के 70 डाक्टर भाग ले रहे हैं। सेमिनार में शामिल डाॅक्टर घुटने के ऑपरेशन का कोर्स भी करेंगे और मृत शरीरों के घुटने बदल कर शल्य चिकित्सा का अभ्यास करते हैं।
इस सेमिनार के संयोजक एवं कोर्स निदेशक श्री यादव ने बताया कि 60 वर्ष के बाद पांच से 10 प्रतिशत मरीजों के घुटने इतने ख़राब हो जाते हैं कि उन्हें इन्हें बदलवाने की जरुरत पड़ती है लेकिन अब ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले साल करीब डेढ़ लाख मरीजों ने घुटने बदलवाए थे। हर साल इसमें करीब 30 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है जबकि विकसित देशों में केवल 10 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है।
उन्होंने कहा,“ देश के अस्पतालों में घुटने और कुल्हे बदलवाने की पर्याप्त सुविधाएं एवं ढांचागत व्यवस्था नहीं है और हर साल मरीजों की संख्या बढ़ रही है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि घुटने और कुल्हे बदलने वाले डाक्टरों और विशेषज्ञों की देश में बेहद कमी है। यूँ तो हड्डी का हर डाक्टर घुटने बदलने का काम करने लगता है पर वह इसका विशेषज्ञ नहीं होता है। खासकर ,निजी अस्पतालों में देश में विशेषज्ञ डाक्टर मुश्किल से 100 होंगे जो इस तरह के ऑपरेशन हमेशा करते हैं। इसलिए आज ऐसे डाक्टरों की संख्या बढ़ाने की जरुरत है और इस पर नीति निर्धारकों को सोचने की जरुरत है।”
उन्होंने कहा,“ वायरल इन्फेक्शन और खराब जीवन शैली से आर्थराइटिस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। कई मरीज़ घुटने बदलवाने के लिए शल्य चिकित्सा नहीं करवाते लेकिन अब नई विधि से कारगर ऑपरेशन हो रहे हैं। मरीजों को समय रहते ऑपरेशन करा लेना चाहिए। बाजारू तेल एवं भस्म आदि के चक्कर में नहीं पढ़ना चाहिए।” उन्होंने कहा कि घुटने के मरीज़ को मोटापा दूर करने पर ध्यान देना चाहिए और कसरत अादि भी करना चाहिए लेकिन उसके लिए पहले किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह जरुर लेना चाहिए।