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devi singh bhati vs arjun ram meghwal-भाजपा के वरिष्ठ नेता देवीसिंह भाटी ने खोला अर्जुनराम मेघवाल के खिलाफ मोर्चा - Sabguru News
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भाजपा के वरिष्ठ नेता देवीसिंह भाटी ने खोला अर्जुनराम मेघवाल के खिलाफ मोर्चा

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भाजपा के वरिष्ठ नेता देवीसिंह भाटी ने खोला अर्जुनराम मेघवाल के खिलाफ मोर्चा
arjun ram meghwal vs devi singh bhati
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बीकानेर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता देवीसिंह भाटी ने केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री और बीकानेर से दो बार के सांसद अर्जुनराम मेघवाल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पार्टी नेतृत्व से इस बार मेघवाल की बजाय दूसरी जाति के प्रत्याशी को मौका देने की मांग उठाई है।

भाटी ने अपनी मांग को मजबूती देते हुए कल बीकानेर संभाग की अनसूचित जातियों मेघवाल जाति को छोड़कर अन्य जातियों के नेताओं को बीकानेर बुलाया है। बीकानेर में देवीसिंह भाटी और केंद्रीय मंत्री मेघवाल के बीच दूरियां इतनी बढ़ गई है कि दोनों एक दूसरे का कड़ा विरोध कर रहे हैं। भाटी इससे पहले मेघवाल को भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाने का विरोध कर चुके हैं।

इसके बाद विधानसभा चुनावों में भी दोनों नेताओं के बीच दूरियां और बढ़ गई। मेघवाल ने भाटी के विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की ओर से प्रचार भी नहीं किया। पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी पहले भी मेघवाल का नाम लिए बिना मांग कर चुके हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बदलने के साथ-साथ अनुसूचित जाति की दूसरी जातियों से भी प्रत्याशी बनाया जाए। इस बार वे खुलकर सामने आ गए हैँ।

भाटी के प्रवक्ता पूर्व पार्षद सुनील बांठिया ने बताया कि मेघवाल जाति के अलावा अनुसूचित जाति की सभी जातियों के लोगों की हर सरकार में उपेक्षा हो रही है। उन्हें राजनीतिक क्षेत्र, शिक्षा, राजकीय सेवा, सरकारी, सामाजिक मिलने वाले लाभ पूरी तरह नहीं मिल रहे हैं। भाटी के नेतृत्व में नायक, जीनगर, वाल्मीकि, बावरी, धाणकर, कंजर, रैगर, मजहबी, खटीक, सांसी, हिन्दु ढोली, जोगी, कोली, धोबी, बाजीगर, गवारिया, रामदासिया आदि के हितों के लिए संघर्ष किया जाएगा। रविवार को बुलाए गई बैठक में समाज के प्रमुख लोगों से उनके हितों पर चर्चा की जाएगी।

भाटी का मानना है कि मेघवाल समाज सभी लाभ के पदों पर स्थापित हो चुका है लेकिन दूसरी जातियों की जान बूझकर उपेक्षा की जा रही है। बांठिया के अनुसार पूर्व मंत्री भाटी शीघ्र ही इनके हितों की रक्षा के लिए इस मुद्दे को राज्य स्तर पर उठायेंगे और सभी राजनीतिक दलों पर मेघवाल के अलावा अनुसूचित जाति एवं अन्य जाति के लोगों को भी आरक्षण का समान लाभ दिलाने के लिए दबाव बनाएंगे।

दूसरी ओर अनुसूचित जाति वर्ग के सम्मेलन में मेघवाल जाति को किनारे रखने के मुद्दे पर विरोध के स्वर भी उभरने लगे हैं। विभिन्न संगठनों ने भाटी के इस कदम को समाज को तोडऩे की मुहिम करार दिया है। इन संगठनों ने समाज के लोगों से 17 फरवरी को आहूत सम्मेलन के बहिष्कार की अपील की है।