नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति :एससी-एसटी: (अत्याचार निवारण) कानून से संबंधित फैसले के विरुद्ध केंद्र की पुनर्विचार याचिका एवं संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 26 मार्च को सुनवाई करेगा।
केंद्र सरकार ने जहां एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून के कुछ प्रावधानों को शीर्ष अदालत द्वारा निरस्त किये जाने के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर की है, वहीं कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं ने संबंधित कानून को पूर्व की स्थिति में लाने के लिए संसद द्वारा किये गये संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है।
केंद्र की पुनर्विचार याचिका और संशोधन के खिलाफ दायर अन्य रिट याचिकाएं न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ के समक्ष आज सूचीबद्ध थी। न्यायालय ने एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल और विभिन्न याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं इंदिरा जयसिंह और मोहन पारासरन से पूछा कि इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए उन्हें कितना समय चाहिए।
सभी अधिवक्ताओं ने अपनी-अपनी बातें रखी, इसके बाद न्यायालय ने 26 मार्च को सुनवाई की तारीख मुकर्रर की और इसके लिए कम से कम तीन दिन का समय निर्धारित किया। एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून के कुछ प्रावधानों को निरस्त करने के शीर्ष अदालत के फैसले के बाद संसद ने गत वर्ष अगस्त में संशोधन के जरिये संबंधित कानून को पुराने रूप में लाया था।