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आखिर क्यों यह चाय आधी रह गई ? - Sabguru News
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आखिर क्यों यह चाय आधी रह गई ?

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आखिर क्यों यह चाय आधी रह गई ?
आखिर क्यों यह चाय आधी रह गई

“आज थड़ी पर चाय के आधे भरे गिलास देखकर उनका ठंडा हो जाना कोई मामूली बात नहीं होती”

“आज थड़ी पर अखबारों का कचरे की तरह पढ़ा होना कोई बड़ी बात नहीं होती”

“आज थड़ी पर गपशप की बजाय खामोशी होना कोई बड़ी बात नहीं होती”

“आज चाय की थड़ी पर चाय की चुस्कीओं के साथ बात न होना कोई बड़ी बात नहीं होती”

आखिर क्यों यह चाय आधी रह गई
आखिर क्यों यह चाय आधी रह गई

जी हां आप इस तस्वीर में चाय के आधे भरे ग्लास देखकर यह सोच रहे होंगे कि आखिर यह क्या है ? तो आपको बता दें आज की स्थिति कुछ इस प्रकार से है कि आप किसी भी चाय की थड़ी पर चले जाएं आपको माहौल उस तरह का नहीं मिलेगा जो किसी जमाने में हुआ करता था एक वक्त था जब लोग चाय की थड़ी पर बैठते थे और अपनी बातों को आदान-प्रदान करते थे चाय की चुस्कीओं का आनंद लेते थे।

और देश की हालत देश के सुधार और घर की चर्चाएं भी करते थे लेकिन आज इस मोबाइल की दुनिया में जिसमें हर एक सक्श के हाथ में मोबाइल होता है वह अपना सारा ध्यान मोबाइल में लगाकर रखता है इससे ज्यादा उसे कुछ करने की इच्छा भी नहीं होती है।

मोबाइल ने हमारे कई ऐसी चीजों को आसान कर दिया है जो पहले नामुमकिन सी हुआ करती थी लेकिन इस मोबाइल ने हमें अपनों से भी इतना दूर कर दिया जिसकी भी कभी आशा नहीं थी।

दूरियों की जड़ है यह मोबाइल

आज एक ही घर में बैठे हुए एक ही घर के लोग आपस में बात नहीं करते आप किसी भी रेस्टोरेंट में चले जाएं या किसी ट्रेन में सफर करें या किसी बस में सफर करें आपको हर एक के हाथ में केवल मोबाइल ही नजर आएगा और यहां मसला केवल मोबाइल इस्तेमाल करने का नहीं है।

रजनी कांत की फिल्म भी नहीं सीखा पाई

इस मोबाइल के इस्तेमाल से जो रेडिएशन बनता है वह बहुत ही खतरनाक है इसके चलते हाल ही में आई फिल्म रोबोट 2.0 जिसमें मोबाइल के रेडिएशन को बखूबी बताया गया है लेकिन यह फिल्में आती है और जाती हैं और लोगों के लिए सबक बनने के बजाय लोगों के सर के ऊपर से हवा की तरह निकल जाती है।

Essay on harmful effects of mobile radiation

यह बात उन्हें समझ नहीं आती कि मोबाइल हमारे सुविधा के लिए है हमारी दूरियों के लिए नहीं यदि आपका भी घर परिवार है कि आपके कोई मित्र हैं तो आप खुद यह देखेंगे कि आखिर आप और हम आखिर क्या कर रहे हैं हम अपनी असल जिंदगी को बुलाकर मोबाइल में ही गवां रहे हैं।

मोबाइल पर दिन का 60 % से ज्यादा लोग

एक सर्वे के अनुसार जो कि बड़ा ही अजीब है दुनिया भर में मोबाइल पर दिन का 60 परसेंट से भी ज्यादा हिस्सा व्यर्थ हो रहा है मोबाइल इतना ज्यादा हावी हो चुका है इसके ऊपर भी सर्वे होने लगे हैं और यह आपकी उम्र तो कम करता ही है साथ में नहीं बीमारियों को भी पैदा करता है।

मोबाइल से झूठी गतिविधि का बढ़ाना

सबसे बड़ी बात मोबाइल के चलते कई ऐसी एप्लीकेशन है जिनका लोग गलत फायदा उठा कर झूठी खबरें फैलाते हैं जिससे लोगों के मन पर गहरा असर पड़ता है और कई ऐसी बातें जो हकीकत में होती भी नहीं है वह सच लगने लग जाती हैं एक ही प्रकार का मैसेज आपके पास बार-बार आएगा, आप के आसपास कई लोगों के बीच दिखाई देगा तो आप उसे ही सच मानने लगेंगे।

मोबाइल का इस्तेमाल करने के लिए कानून

सुनने में बड़ा अजीब लगता है लेकिन यह सच है अगर इसी तरह चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब मोबाइल का इस्तेमाल करने पर कोई कानून आ जाएगा जिसके अनुसार आप मोबाइल का एक सीमित अवधि के लिए और एक सीमित कारणों के लिए ही इस्तेमाल कर पाएंगे यदि ऐसा कानून आता है तो यह बहुत ही मुश्किल होगा लेकिन कहीं ना कहीं यह सही भी होगा आप इस बात से कितने सहमत है और कितने नहीं इस बात को हमारे फेसबुक पेज से जुड़ कर कमेंट द्वारा जरूर बताएं और अगर अपना भी करें तो भी कोई बात नहीं इस बहाने कम से कम आपका मोबाइल का इस्तेमाल का एक कदम तो कम होगा।