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भगवंत यूनिवर्सिटी : कृषि विभाग की दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का सफल आयोजन

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भगवंत यूनिवर्सिटी : कृषि विभाग की दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का सफल आयोजन

अजमेर। भगवंत विश्वविद्यालय के कृषि विभाग की ओर से दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का ​शनिवार को विधिवत समापन हुआ।

“नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन सस्टेनेबल एग्रीकल्चर एंड रीसेंट ट्रेंड्स इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी” विषयक कांफ्रेंस की मुख्य अतिथि एवं प्रशासनिक अधिकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सुश्री पूजा दवे, विशिष्ट अतिथि रिटायर्ड डीन कॉलेज ऑफ़ हॉर्टिकल्चर अयोध्या प्रो एसपी सिंह थे।

इस अवसर पर दवे ने अपने सम्बोधन में कहा की भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है जहां मानसून एक जुआं है। बाढ़, सूखा एवं मौसम में परिवर्तन आम बात है। हमें ऐसी फसल विकसित करनी चाहिए जो बाढ़, सूखा, गर्मी, सर्दी को सहन कर सके, कम समय में अधिक पैदावार दे। इसके अलावा फसल में माइक्रो नुट्रिएंट भरपूर हो एवं गुणवत्ता की अधिकता हो साथ ही ऐसी कृषि जो भारतीय अर्थवयवस्था को विश्व में आगे ले जा सके।

प्रोफेसर आरके माथुर ने कहा कि कम लागत पर बढ़िया फसल उगाना हमारा उद्देश्य हो जिससे पर्यावरण प्रभावित न हो, मिट्टी, जल की गुणवत्ता भी बनी रहे। उत्पादकता के साथ साथ गुणवत्ता में किसी भी स्थिति में कमी नहीं आनी चाहिए। कृषि द्वारा समाज के सभी उपभोक्ताओं की संतुष्टि हमारा मुख्या ध्येय होना चाहिए।

मुख्या वक्ता एवं विशिष्ट अतिथि ने कहा की कृषि-विज्ञान तिलहन, दलहन, अनाज, फल उत्पाद सभी से जुड़ा हुआ है। हमें यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि पौधों के साथ क्या क्या समस्याएं हैं। उन्होंने लौकी कि कई सारी किस्मे विकसित की हैं। इन्हें देश में लौकी पुरुष के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा की भारत देश में समस्याएं बहुत हैं लेकिन पूरा विश्व भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है। सब जानना चाहते हैं कि भारत अपनी समस्याएं किस प्रकार सुलझाता है। पूरा विश्व भी उसी का अनुसरण करता है।

दूसरे तकनीकी सत्र में देश के विभिन्न कोनों से आए प्रतिभागियों ने शोधपत्र प्रस्तुत किए। प्रतिभागियों ने पोस्टर प्रेजेंटेशन दिया। सभी प्रतिभागियों ने अपने शोध ज्ञान को उत्कृष्टता से प्रस्तुत किया। कृषि विभाग के विभागाध्यक्ष संजय मिश्रा ने सरसों की विभिन्न उन्नत किस्मों, उनसे अधिकतम उत्पादन किस तरह लिया जाए और कम पानी में वे किस प्रकार जीवित रहें इस बारे में विस्तृत ज्ञान द्वारा सभी के ज्ञान में वृद्धि की। राजस्थान राज्य सरसों की सर्वश्रेष्ठ फसल के लिए जाना जाता है।

टी.अनीता ने रोल ऑफ़ इंटीग्रेटेड नुट्रिशन मैनेजमेंट इन वेजिटेबल क्रॉप्स विषय पर अपना व्याख्यान दिया। दांतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय के शोध छात्र कमलेश कुमार ने जेनेटिक वेरिएबिलिटी कोरिलेशन कोफिसिएंट एंड पथ एनालिसिस इन सोयाबीन क्रॉप्स पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। इन्होंने सोयाबीन की ऐसी उन्नत किस्म बनाई जिसमे प्रोटीन कंटेंट अधिक होता है। यह फसल कम पानी में उगती है और अधिक पैदावार देती है।

डॉ. आशुतोष कुमार सिंह ने प्रेजेंट स्टेटस एंड फ्यूचर प्रॉस्पेक्टस ऑफ़ हेटेरोसिस ब्रीडिंग इन राइस पर अपना व्याख्यान के दौरान सीएसएस, जीएमएस, टीजीएमएस एवं हेट्रोसिस टाइप्स, सस्टेनेबल एग्रीकल्चर, हेट्रोसिस ब्रीडिंग तथा चावल की कुछ विशेष प्रजातियों के बारे में बताया जिन्हें मिरेकल राइस के नाम से जाना जाता है।

दूसरे दिन तकनीक सत्र के मुख्या वक्ता एनआरसीएसएस तबीजी के प्रिंसिपल डॉ. बीके मिश्रा ने बायलोजिकल नाइट्रोजन फिक्सेशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर विषय पर रोचक और ज्ञानवर्धे व्याख्यान दिया। उन्होंने बैक्टीरिया की फिजियोलॉजी एवं एमजीम पर विस्तृत जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति की मदद करते हुए विकास करना है, उसका विनाश करते हुए नहीं। हमें प्रकृति का विनाश हर स्थति में रोकना है। जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नील हरित शैवाल, की कुछ प्रजातियां प्रयोग में लेनी चाहिए, रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग धीरे धीरे बंद कर देना चाहिए, क्योकि इनके अधिक प्रयोग से मानव वर्तमान में घातक बीमारियों का शिकार होता जा रहा है।

हमें मटर कुल के पौधों को फसल के बीचों बिच में लगाना चाहिए जिससे जमीन की उर्वरकता बानी रहे। राइसोबोरियम जैसे लाभदायक जीवाणु ही जमीन की उर्वरकता और उसके सवरूप को बढ़ाते हैं। सिक्किम को आर्गेनिक स्टेट घोषित किया गया है जहां किसी भी प्रकार के रासायनिक खाद या रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है। देश के बाकी राज्यों को सिक्किम की तरह ही आगे बढ़ाना होगा। भारत जो कि कृषि प्रधान देश है कृषि पर आधारित अर्थव्वयस्था जिसकी पहचान है, विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल होगा और देश के लोगो का स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों सुरक्षित रहेंगे।

सभी प्रतिभागियों ने कार्यक्रम के गुणवत्ता स्तर को सराहा तथा देश के विभिन्न भागों से आए शोधार्थियों ने श्रेष्ठतर शोध पत्रों का वाचन किया। कॉन्फ्रेंस में आए सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इस कॉन्फ्रेंस में शोधपत्र में डॉ. आशुतोष कुमार सिंह को प्रथम स्थान, सौरभ शोधार्थी को द्वतिय स्थान मिला। पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान वरुण कुमार पांडेय तथा दूसरे स्थान पर टी.अनीता रहीं।

समारोह के अंत में डीन डॉ धर्मेन्द्र दुबे ने कार्यक्रम में पधारे सभी प्रतिभागियों, अतिथियों, आयोजकों और श्रोताओं का आभार जताया। सफल आयोजन के लिए भगवंत ग्रुप के चेयरमैन डॉ अनिल सिंह, वाइस चेयरपर्सन डॉ आशा सिंह, वाइस चांसलर प्रो वीके शर्मा ने कृषि विभाग को बधाई दी और प्रतिभागियों के उज्जवल भविष्य की कामना की।

अंत में मुख्य अतिथि डॉ बीके मिश्रा ने को डॉ पूर्णिमा श्रीवास्तव ने पुष्प गुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका सम्मान किया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के प्रो आरके माथुर, दिनेश मांडोत, डॉ राजीव सिंह, डॉ एसके अरोडा, डॉ सीएम राजोरिया, डॉ आशित, डॉ रेखा, इंजीनियर मनीष ​आदि उपस्थित रहे।

कृषि संकाय के​ विभागाध्यक्ष संजय मिश्रा, डॉ संजय मिश्रा, डॉ आरपी सिंह, डॉ मयंक चतुर्वेदी, डॉ अमित मिश्रा, डॉ विंध्य पांडेय, डॉ आशुतोष सिंह, रूप कुमार, हर्षवर्धन, अजय गौड, अंकित कुमार, रोहित कुमार, टी अनिता, बीएम रेड्डी, पुष्पेन्द्र कुमार, अभिषेक कुमार, देवेन्द्र कुमार, संतोष तिवारी, पेडा बाबू, मोहित भारद्वाज आदि का कार्यक्रम सफल बनाने में सहयोग रहा।