सबगुरु न्यूज। गरीबी इस दुनिया का परम सत्य है और गरीब का आभूषण आंसू होते हैं जिसको धारण कर गरीब इस जगत में जीता रहता है। पहली आवश्यकता तन ढंकने की और दूसरी पेट भरने की। मकान की तो वह कल्पना भी नहीं करता है।
विश्व की बहुत बड़ी आबादी गरीबी में जीवन का गुजर बसर करती है और शिक्षा भले ही मुफ्त मिल जाए पर पेट भरना ही उसकी प्राथमिकता होती है। दुनिया भले ही चांद तारों पर पहुंच गई है पर पृथ्वी कमोबेश इन्ही समस्याओं के बोझ से घिरी हुई है।
इस जगत में गरीबों का हमदर्द कौन है, तो ज्ञात होता है कि कुछ गिने चुने लोग और उन्हें भी गरीब नहीं जानते, कुछ जानते हैं तो भी उस तक वे नहीं पहुंच पाते हैं। इस तरह से गरीबी आस्था के अदृश्य शक्ति के अदृश्य देव का सहारा लेकर अपनी मन्नतों के धागे केवल मन में ही बांधते हैं और तन मन से उसे पूजते हैं।
आस्था और श्रद्धा के इन देवों में महादेव को इन गरीबों के मसीहा माना जाते हैं। एक पानी का लोटा डाला और शंकर बाबा मस्त हो जाते हैं। ग़रीब और अमीर कोई भी हों भोले नाथ के छप्पन भोग इस जल के लोटे से ही पूर्ण हो जाते हैं।
भले ही कलयुग में यह महादेव किसी को प्रकट रूप में दिखाई ना दें, लेकिन आस्था और विश्वास वालों की आत्मा में विराजमान रहते हैं। धर्म ने शिव को कल्याणकर्ता बताया तो गरीबों ने उसे अपना हमदर्द बताया। विज्ञान भले ही शिव को ना माने पर धर्म ने उसे महामृत्युंजय बता कर आस्था की ज्योति जगा दी।
धर्म ओर विज्ञान चाहे अपनी-अपनी समझ से कुछ भी कहे पर आस्था ने शिव को भोले नाथ ओर गरीबों का हमदर्द बना दिया। जय जय भोले नाथ।
सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर