नयी दिल्ली । भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निदेशक त्रिलोचन महापात्रा ने मंगलवार को कहा कि देश में दलहन क्रांति के विश्लेषण की जरूरत है ताकि उससे सीख ली जा सके।
डॉ महापात्रा ने यहां भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में किसान मेला के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश में दालों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सालाना 40 से 50 लाख टन दालों का आयात किया जाता था जिस पर करीब 10 हजार करोड़ रुपये खर्च होता था।
उन्होंने कहा कि तीन चार साल के दौरान दलहनों की पैदावार साठ से 90 लाख टन अधिक हो गयी है। दलहन के उत्पादन में यह क्रांति सरकार की नीतियों, वैज्ञानिकों के प्रयासों और किसानों के परिश्रम से हो सकी है। दलहन के बीज उत्पादन के लिए 150 बीज हब बनाये गये और कृषि विज्ञान केन्द्रों में अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन किया गया जिससे किसानों की इसकी उन्नत खेती की जानकारी मिली।
इसके साथ ही सरकार ने दालों के लिए पहली बार 20 लाख टन का बफर स्टाक बनाया तथा दलहनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया। इसके साथ ही दलहनों की व्यापक पैमाने पर दलहनों की खरीद की गयी। उन्होंने कहा कि दलहन क्रांति के विश्लेषण से नये तथ्यों की जानकारी मिलेगी जिसका लाभ आगे मिलेगा।