देहरादून/ऋषिकेश। उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन और पर्यटन मंत्रालय के अतुल्य भारत योजना के संयुक्त रूप से आयोजित 30वें वार्षिक विश्व विख्यात अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के पांचवें दिन बॉलीवुड सुप्रसिद्ध अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी ने विश्व के अनेक देशों से आए योग जिज्ञासुओं को ‘योगा फाॅर द सोल’ के माध्यम से स्वस्थ और निरोग रहने के गुर सिखाए।
शिल्पा शेट्टी ने ‘आत्म नमस्ते’ से अपना उद्बोधन आरम्भ करते हुए कहा कि परमार्थ निकेतन आकर ऐसे लगता है, जैसे मैं अपने घर आ गई हूं। यहां की गंगा, पवित्रता और देश-विदेश की धरती से आए इतने सारे लोगों का यहां एकत्र होना कमाल है। एक संस्था, एक व्यक्तित्व क्या कर सकता है और क्या हो सकता है यह इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि योग को आगे बढ़ाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन करना और उसमें योग प्रेमियों और स्वयं को बुलाने के लिए उन्होंने स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि योग तो मेरा जीवन है। योग की आवश्यकता केवल शारीरिक काया के लिये नहीं है बल्कि योग तो मानसिक शान्ति भी प्रदान करता है। योग वास्तव में एक विज्ञान है।
शिल्पा शेट्टी ने विशेषकर भारतीय महिलाओं का आह्वान करते हुए कहा कि अपनी व्यस्त जीवनचर्या से 20 से 25 मिनट अपने आप के लिए निकालें जिसमें आप प्राणायाम करें, ध्यान करे तब आपको अपने अस्तित्व का भान होगा।
शिल्पा ने कहा कि योग हमें अपने होने की अनुभूति कराता मैं एक कर्म योगी हूं, लेकिन उसके साथ-साथ योग ने मुझे स्वस्थ रहने के लिए प्रसन्न रहने के लिए भी दिशा दी हैं इसलिए जीवन में योग अवश्य करें। योग हमें अपनी आत्मा को जानने का अवसर प्रदान कराता है।
उन्होंने कहा कि मैंने अपने बेटे को जन्म देने के पश्चात योग के माध्यम से चार महीने में 32 किलो वजन कम किया है। योग के साथ अपने खान पान पर भी ध्यान रखे क्योंकि शरीर को फिट रखने के लिए 30 प्रतिशत योग का और 70 प्रतिशत भोजन का योगदान होता है कि आप योग करते हुए क्या खा रहे है यह महत्वपूर्ण है। साथ ही उन्होंने प्राणायाम, मौन का अभ्यास, श्वास पर ध्यान देने के मंत्र दिए।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि शुद्धि, बुद्धि, सिद्धि और समृद्धि सब का संगम योग है। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती ने ‘योग और प्रेम’ पर कहा कि श्रीमद् भगवत गीता में भक्तियोग, ज्ञानयोग और कर्मयोग की सुन्दर व्याख्या है। भक्तियोग अर्थात “लव आफ डिवोशन और योग तो एक दिव्य सम्बंध है।
इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत अमरीका से आए योगाचार्य गुरूशब्द सिंह खालसा के कुण्डलिनी योग से हुआ। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने गोल्डन ब्रिज योग के सह-संस्थापक योगाचार्य गुरूशब्द सिंह खालसा और योगाचार्य गुरूमुख का स्वागत और अभिनन्दन किया।
योगी कैटी बी हैप्पी ने ‘योग के माध्यम से अपने उच्चतम को प्राप्त करने की स्व कार्यशाला’, योगाचार्य डाॅ इन्दु शर्मा ने ’पारम्परिक हठ योग, योगाचार्य जोसेफ श्मिटलिन न ’द फाइव तिब्बतियन’ सूर्योदय के साथ प्रसिद्ध संगीतकार आनन्द्रा जार्ज ने ’सनराइज नाद योग म्यूजिकल मेडिटेशन’, योगाचार्य दीपिका मेहता ने ’प्राण नृत्य’ योगाचार्य संदीप देसाई ने मैसूर शौली अष्टांग योग, अमरीका से आए प्रसिद्ध योगाचार्य सोल डेविड राॅय आत्मा और सोमा, जागृति की शक्ति, आतंरिक प्रवाह, कायाकल्प और अंतर्ज्ञान योग का अभ्यास कराया।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में भारत, स्पेन, ब्राजील, पुर्तगाल, चीन, मैक्सिको, बेल्जियम, अमेरिका सहित विश्व के विभिन्न देेशों के योग जिज्ञासुओं ने हिस्सा लिया।